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बदनामी के डर से भ्रष्ट जजों पर नहीं हुई कार्रवाई: जस्टिस काटजू

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक बार फिर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का मामला उठाया है। इस बार ब्लॉग लिखकर काटजू ने खुलासा किया है कि जब वो इलाहबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे तो उन्होंने वहां काम कर रहे कई भ्रष्ट जजों के बारे में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस कपाड़िया को इसकी जानकारी दी थी।

By Edited By: Updated: Mon, 11 Aug 2014 10:56 AM (IST)
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक बार फिर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का मामला उठाया है। इस बार ब्लॉग लिखकर काटजू ने खुलासा किया है कि जब वो इलाहबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे तो उन्होंने वहां काम कर रहे कई भ्रष्ट जजों के बारे में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस कपाड़िया को इसकी जानकारी दी थी। लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने अपने ब्लॉग में यह भी लिखा है कि पूर्व सीजेआई ने न्यायपालिका की बदनामी के डर से भ्रष्ट जजों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कडेय काटजू ने अपने ब्लॉग में न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के मुद्दे को एक बार फिर से उठाया है। इस ब्लॉग के माध्यम से उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। काटजू ने लिखा है कि तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस कपाड़िया को इस जज के बारे में काफी शिकायतें मिलीं थीं कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त है। जस्टिस कपाड़िया ने उन्हें इस मामले की सच्चाई का पता लगाने को कहा। काटजू आगे लिखते हैं कि वह उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में जज थे। कुछ दिनों बाद वह एक समारोह में हिस्सा लेने के लिए इलाहाबाद गए। जहां पर उन्होंने तीन वकीलों से संपर्क किया और उन्हें इस जज के एजेंटों के तीन मोबाइल नंबर भी मिले, जिनकी सहायता से ये पैसे लिया करते थे। दिल्ली वापस आने के बाद उन्होंने ये तीनों मोबाइल नंबर जस्टिस कपाड़िया को दे दिए और कहा कि इन नंबरों को इंटेलिजेंस एजेंसी से कह कर टेप करवाना चाहिए। दो महीनों बाद जस्टिस कपाड़िया ने उन्हें बताया कि उन नंबरों को टेप कराए जाने के बाद उस जज के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात पूरी तरह से सिद्ध हो गई है।

काटजू के मुताबिक इस खुलासे के बाद जस्टिस कपाड़िया को इस जज का इस्तीफा मांग लेना चाहिए था ताकि उस पर महाभियोग की कार्रवाई की जा सके। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। न्यापालिका में भ्रष्टाचार और उसे उजागर न होने देने को लेकर जस्टिस काटजू ने एक और उदाहरण दिया है। अपने ब्लॉग में काटजू ने लिखा कि जब वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस थे तब वह दिल्ली आए थे और तत्कालीन चीफ जस्टिस लाहोटी से मिले थे। वह आगे लिखते हैं कि जस्टिस लोहाटी से मुलाकात के दौरान उन्होंने उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट के पांच भ्रष्ट जजों के नाम दिए थे। इस पर जस्टिस लाहोटी ने उनसे पूछा था कि इस पर उन्हें क्या करना चाहिए। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इन जजों को हाईकोर्ट के परिसर में नहीं घुसने देना चाहिए। इस पर जस्टिस लाहोटी ने कहा कि नहीं ऐसा मत करिएगा नहीं तो न्यायपालिका में राजनीतिक दखल बढ़ जाएगी और मुमकिन है कि वह नेशनल ज्यूडिशियल कमीशन भी बना दें। उनके इस जवाब पर काटजू ने सिर्फ उन्हें इतना ही कहा कि जो आपको जो सही लगे वो कदम उठाइए। बाद में उन जजों का तबादला कर दिया गया।

काटजू के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस लाहोटी न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को उजागर नहीं करना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे न्यायपालिका बदनाम होगी। ब्लॉग पर जस्टिस काटजू के लगाए आरोपों का जवाब देते हुए पूर्व चीफ जस्टिस एच एस कपाड़िया का कहना है कि उन्होंने भ्रष्टाचारी जजों के खिलाफ सबसे ज्यादा कदम उठाए थे। पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा कि वह फिलहाल उन्हें जजों के नाम तो याद नहीं हैं जिनके बारे में जस्टिस काटजू ने उनसे शिकायत की थी। लेकिन जब भी वो मेरे पास इस तरह की शिकायत लेकर आए तो मैंने कई जजों का तबादला किया। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मैं कभी किसी गलत जज को सुप्रीम कोर्ट नहीं लेकर आया और कई जजों को हाईकोर्ट में कंफर्म भी नहीं किया।

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