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जजों की नियुक्ति होगी पहली प्राथमिकता: जस्टिस लोढ़ा

न्यायाधीश आर एम लोढ़ा भारत के 41वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर सफथ ले ली है। गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम 26 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस लोढ़ा करीब पांच महीने मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे। वे इसी वर्ष सितंबर में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जस्टिस लोढ़ा इस समय कोयला घोटाले, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने जैसे

By Edited By: Updated: Mon, 28 Apr 2014 07:28 AM (IST)
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नई दिल्ली। न्यायाधीश आर एम लोढ़ा ने भारत के 41वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ले ली है। उन्हें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शपथ दिलाई। गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम 26 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस लोढ़ा करीब पांच महीने मुख्य न्यायधीश के पद पर रहेंगे। वे इसी वर्ष सितंबर में सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने अपनी पहली प्रेस वार्ता में कहा कि उनका सबसे पहला काम जजों की नियुक्ति करना है। इसके अलावा वह जजों की नियुक्ति को लेकर होने वाले कोलेजियम प्रक्रिया पर भी चर्चा करेंगे। जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि उन्होंने फांसी की सजा पर हाईकोर्ट के जजों को इसे अपवाद के रूप में लेने की बात कही है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सभी की तरह न्याय व्यवस्था को भी अपनी हद में रहकर ही काम करना होगा। नर्सरी दाखिले पर किए गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने इस विषय पर चिंता जताते हुए कहा कि वह देखेंगे कि इसका जल्द से जल्द समाधान कैसे निकाला जा सकता है।

जस्टिस लोढ़ा इस समय कोयला घोटाले, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई कर रहे हैं। अभी पिछले दिनों उन्होंने सांसदों व विधायकों के खिलाफ अदालतों में लंबित आपराधिक मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरी करने का फैसला सुनाया था। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की उम्र संबंधी याचिका पर भी जस्टिस लोढ़ा की पीठ ने ही फैसला सुनाया था।

जस्टिस लोढ़ा का जन्म राजस्थान के जोधपुर में 1949 में हुआ था। उनके पिता एसके मल लोढ़ा भी राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे। जस्टिस आरएम [राजेन्द्र मल] लोढ़ा 1973 में राजस्थान बार काउंसिल में वकील पंजीकृत हुए उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। जनवरी 1994 में वे राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए और 15 दिन बाद उन्हें बांबे हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया।

वे 13 वर्ष तक बांबे हाईकोर्ट के न्यायाधीश रहे। फरवरी 2007 को वे राजस्थान हाईकोर्ट स्थानांतरित हुए। 13 मई 2008 को वे पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 17 दिसंबर 2008 को वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।

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