ज्योति कांड की कहानी, तारीखों की जुबानी
बिल्सी की ज्योति का मामला तारीख-दर तारीख चलता रहा है। बुधवार को अदालत ने आरोपी तेजेंद्र सागर और मीनू शर्मा को आजीवन कैद की सजा सुनाई। फैसले के वक्त अदालत के बाहर बड़ी संख्या में दोनों पक्ष के लोग मौजूद रहे। दोनों अभियुक्तों को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से न्यायालय लाया गया, जहां दोपहर बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया। यह पू
By Edited By: Updated: Wed, 16 Jul 2014 03:40 PM (IST)
बदायूं। बिल्सी की ज्योति का मामला तारीख-दर तारीख चलता रहा है। बुधवार को अदालत ने आरोपी तेजेंद्र सागर और मीनू शर्मा को आजीवन कैद की सजा सुनाई। फैसले के वक्त अदालत के बाहर बड़ी संख्या में दोनों पक्ष के लोग मौजूद रहे। दोनों अभियुक्तों को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से न्यायालय लाया गया, जहां दोपहर बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया। यह पूरा प्रकरण कैसे चला आइये जानते हैं तारीखों की जुबानी-
23 अप्रैल 2008: बिल्सी की छात्रा ज्योति पुत्री कुलदीप किशोर का सहेली के घर नोट्स लेते जाते वक्त अपहरण हो गया। 29 अप्रैल 2008: ज्योति के गुमशुदी की तहरीर थाना बिल्सी में उसके पिता कुलदीप किशोर ने दी। 29 अप्रैल 2008: कुलदीप किशोर के बयान व विवेचना के आधार पर तेजेंद्र सागर व मीनू शर्मा के विरुद्ध ज्योति के अपहरण के आरोप में रिपोर्ट नं. 22 दर्ज हुई। जिसमें 4 मई को अ.सं. 378/08 धारा 366 थाना बिल्सी डाला गया।
16,17 मई 2008: बिल्सी पुलिस ने ज्योति की बरामदगी मुजफ्फर नगर रेलवे से दर्शाते हुये। एसीजेएम द्वितीय के कोर्ट में पेश किया। वहां से नारी निकेतन बरेली भेज दिया। 22 मई 2008: ज्योति का लिंक आफीसर जुडीशियल मजिस्ट्रेट रेशमा प्रवीण ने धारा 164 सीआरपीसी में कलम बंद बयान दर्ज किया। उसके पिता ने अदालत में एप्लीकेशन दी ज्योति का मानसिक संतुलन ठीक नहीं उसके नशीले इंजेक्शन दिये गये हैं उसको डरा व धमका दिया है। उसका बयान दर्ज न किया जाये। ज्योति को नारी निकेतन बरेली भेज दिया गया।
09 जून 2008: तत्कालीन एसीजेएम द्वितीय रमाशंकर सिंह ने ज्योति को बालिग होने पर उसको आजाद कर दिया। ज्योति अपनी इच्छा से मामा योगेंद्र के साथ अपनी ननिहाल बरेली चली गयी। इस बीच प्रदेश सरकार ने विवेचना थाना बिल्सी से लेकर सीवीसीआईडी को सौंप दी। सीवीसीआईडी ने इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। 03 अक्टूबर 2008: अदालत ने फाइनल रिपोर्ट सं.-15/2008 में ज्योति के पिता कुलदीप किशोर को नोटिस 18.11.2008 को भेजा गया। 18 नवम्बर 2008: फिर से नोटिस जारी करके 28.11.2008 तारीख लग गई। 28 नवम्बर 2008: को कोर्ट में ज्योति के पिता कुलदीप किशोर ने प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र दिया। निस्तारण की तारीखी 12.12.08 लगी। कोर्ट खाली है। 10 दिसम्बर 2008: फाइल तृतीय अपर सिविल जज (जू.डि.) न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां ट्रांसफर हो गई। 07 जनवरी 2009: फिर से पत्रावली एसीजेएम द्वितीय के यहां सीजेएम ने ट्रांसफर कर दी। 03 फरवरी 2009: समय अभाव में 6 फरवरी 2009 तारीख लग गई। 06 फरवरी 2009: एसीजेएम द्वितीय राजवीर सिंह ने सीबीसीआईडी की फाइनल रिपोर्ट 5/08 निरस्त करते हुये प्रोटेस्ट परिवार के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया। 07 फरवरी 2009: मुकदमा परिवाद के रूप में दर्ज हुआ। 02 मार्च 2009: अदालत ने ज्योति के पिता कुलदीप किशोर का 200 का बयान दर्ज कर 18 मार्च 09 तारीख 202 सीआरपीसी के बयान की लगायी। 18 मार्च 2009: कोर्ट ने ज्योति 202 सीआरपीसी का बयान दर्ज किया। ज्योति ने विधायक योगेंद्र सागर, तेजेंद्र सागर व मीनू पर लखनऊ, दिल्ली ले जाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया। 18 अगस्त 2009: सीजेएम द्वितीय राजवीर सिंह ने ज्योति अपरण बलात्कार के आरोप में बिल्सी विधायक योगेंद्र सागर, तेजेंद्र व मीनू को 18 सितम्बर 2009 को कोर्ट में तलब करने का आदेश दिया। इसी बीच हाईकोर्ट इलाहाबाद में तलबी आदेश के विरुद्ध मीनू शर्मा ने 482 में रिट दायर की जिसे न्यायमूर्ति विनोद प्रसाद ने खारिज कर दी। 07 अक्टूबर 2009: तेजेंद्र सागर ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसके श्रीवास्तव के यहां तलबी आदेश के विरुद्ध रिवीजन दायर किया जो 7 अक्टूबर 2009 को खारिज हो गया। 21 अक्टूबर 2009: हाईकोर्ट इलाहाबाद ने भी तेजेंद्र सागर की रिट याचिका खारिज कर दी। 19 जनवरी 2010: न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रांजल अनेजा ने तीनों आरोपी बिल्सी विधायक योगेंद्र सागर, तेजेंद्र सागर व मीनू के जमानतीय वारंट दस हजार रुपये के जारी कर तलब करते हुये 08.02.2010 तारीख नियत की। 08 फरवरी 2010: सीजेएम कोर्ट ने पत्रावली अपर सिविल जज (सीनियर डिवीनज) एसीजेएम अखिलेश कुमार के यहां ट्रांसफर कर दी। 12 फरवरी 2010: न्यायाधीश अखिलेश कुमार ने सीजेएम को पत्र लिखा की वह किन्हीं कारणों से मुकदमें को निस्तारित नहीं करना चाहते हैं जिसको सीजेएम ने पर्याप्त आधार न होने के कारण खारिज कर दिया। 14 जून 2010: कुलदीप के अधिवक्ता ने गैर जमानती वारंट की तामील एसएसपी से कराये जाने का प्रार्थना पत्र दिया। जो अदालत ने स्वीकार करते हुये एसएसपी को तामील करने के आदेश किये। बिल्सी पुलिस ने बिना तामील वारंट वापस कर दिये। रिपोर्ट दी कि दबिशें दीं मुल्जिमान नहीं मिले। 30 जून 2010: योगेंद्र सागर ने गैर जमानती वारंट के विरुद्ध जिला एवं सत्र न्यायाधीश के यहां रिवीजन दायर किया जिसे न्यायाधीश अनिल कुमार अग्रवाल ने खारिज कर दिया। 06 जुलाई 2010: बिल्सी विधायक ने तलबी आदेश का रिवीजन दायर कर चुनौती दी। जो ट्रांसफर होकर अपर सत्र न्यायाधीश सप्तम के यहां पहुंचा। इसके साथ लिमिटेशन की एप्लीकेशन दी जिसको न्यायाधीश अरुण कुमार ने खारिज कर दिया। इसके साथ ही रिवीजन खारिज हो गया वह दर्ज भी नहीं हो पाया। 06 जुलाई 2010: कुलदीप किशोर के अधिवक्ता ने बिल्सी विधायक समेत तीनों के विरुद्ध धारा 82,83 का प्रार्थना पत्र अदालत में दिया है जिस पर 12 जुलाई 2010 को सुनवाई की तारीख लगा दी। 12 जुलाई 2010: एसीजेएम अखिलेश कुमार ने बिल्सी विधायक योगेंद्र सागर, तेजेंद्र सागर, मीनू शर्मा के विरुद्ध धारा 82 सीआरपीसी के तहत यह उद्घोषणा जारी की, तीनों मुल्जिमान फरार हैं। एसएसपी इसके आदेश का अनुपालन कर नोटिस चस्पा करायें। धारा 83 सम्पत्ति कुर्की की सुनवाई हेतु 26 जुलाई 2010 तारीख नियत कर दी। 30 जुलाई 2010: उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायमूर्ति अशोक कुमार रूपनवाल ने बिल्सी विधायक योगेंद्र सागर के विरुद्ध गैर जमानती वारंट की कार्यवाही स्टे कर दी। 25 अगस्त 2010: ज्योति अपहरण और बलात्कार के आरोपी तेजेंद्र सागर व मीनू शर्मा के विरुद्ध एसीजेएम/अपर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अखिलेश कुमार ने कुर्की व गैर जमानती वारंट जारी करते हुये, एसएसपी को तामील कराने के निर्देश दिये। सुनवाई की 18 सितम्बर 2010 तारीख नियत की। 04 सितम्बर 2010: आरोपी मीनू शर्मा को बिल्सी पुलिस ने गिरफ्तार करके एसीजेएम अखिलेश कुमार की कोर्ट में पेश किया। उसकी ओर से जमानत प्रार्थना पत्र दिया जो अदालत ने खारिज कर उसे जेल भेज दिया। 16 जुलाई 2014: हाईकोर्ट के दिशा निर्देश पर सुनवाई कर रहीं अपर सत्र न्यायाधीश रीता कौशिक अपहरण व सामूहिक दुष्कर्म करने के लिए तेजेंद्र और मीनू को दोषी मानते हुए दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई। सीबीसीआइडी ने लगा दी थी एफआर बिल्सी के चर्चित जिस ज्योति कांड में दो आरोपियों के खिलाफ अदालत ने आजीवन कैद व आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई है इस मामले में सीबीसीआइडी ने एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगा दी थी। पीड़िता के पिता की ओर से प्रोटेस्ट दाखिल किए जाने के बाद मामला फिर विवेचना में आया तो बिल्सी पुलिस ने मीनू शर्मा को 4 सितंबर 2010 को गिरफ्तार कर लिया जबकि दूसरे आरोपी तेजेंद्र सागर ने बाद में कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। ध्यान रहे कि बिल्सी कस्बे की रहने वाली बीए की छात्रा ज्योति शर्मा का 23 अप्रैल 2008 को कस्बे से ही अपहरण हो गया था। उसके पिता ने तेजेंद्र सागर व मीनू शर्मा के विरूद्ध बिल्सी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। ज्योति को बड़े ही नाटकीय ढंग से बिल्सी पुलिस ने बरामद कर उसको अदालत में पेश किया था जहां से उसे नारी निकेतन भेज दिया गया। ज्योति को एसीजेएम द्वितीय रमा शंकर सिंह की अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने ज्योति के बालिग होने के कारण उसे आजाद कर दिया था। यह भी बताते चलें कि तेजेंद्र सागर उस वक्त तत्कालीन बसपा विधायक योगेंद्र सागर का करीबी था। योगेंद्र सागर के ही प्रयास से यह मामला प्रदेश सरकार ने सीबीआइडी के सुपुर्द कर दिया था। सीबीसीआईडी को दे दी गई। सीबीसीआइडी ने इस मुकदमे में एफआर लगा दी थी। इसके बाद भी पीड़िता के पिता ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने 28 नवंबर 2008 को कोर्ट में प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र दिया। जिसके समर्थन में ज्योति, उसके पिता, गवाह पीसी शर्मा आदि के बयान दर्ज किए गए। ज्योति ने अपने बयानों में पूर्व विधायक योगेंद्र सागर, तेजेंद्र सागर, मीनू शर्मा पर अपहरण करने और लखनऊ व दिल्ली ले जाकर नशा देकर सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। जिस पर तत्कालीन एसीजेएम द्वितीय राजवीर सिंह ने पूर्व विधायक योगेंद्र सागर, तेजेंद्र सागर, मीनू शर्मा को कोर्ट में तबल करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के दिशा निर्देश पर अपर सत्र न्यायाधीश रीता कौशिक सुनवाई कर रही थीं। आरोप सिद्ध होने पर अदालत ने तेजेंद्र सागर और मीनू के खिलाफ सजा सुनाई। पढ़ें: बदायूं कांड में लड़कियों की तलाश करने वालों से पूछताछ पढ़ें: गंगा की लहरों से बदायूं कांड से जुड़ी कब्रों की सुरक्षा को खतरा