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निदा फाजली ने बिग बी की तुलना कर दी कसाब से

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। जाने माने शायर निदा फाजली द्वारा बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब की तुलना किए जाने से विवाद खड़ा हो गया है। मुंबई हमले [26/11] में एकमात्र जिंदा पकड़े गए कसाब को पुणे की यरवदा जेल में गत 21 नवंबर को फांसी दी गई थी।

By Edited By: Updated: Sat, 12 Jan 2013 07:41 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। जाने माने शायर निदा फाजली द्वारा बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब की तुलना किए जाने से विवाद खड़ा हो गया है। मुंबई हमले [26/11] में एकमात्र जिंदा पकड़े गए कसाब को पुणे की यरवदा जेल में गत 21 नवंबर को फांसी दी गई थी।

फाजली द्वारा साहित्यिक पत्रिका में लिखे गए लेख में कसाब को एंग्री यंगमैन बताया गया है जो पिछली सदी के आठवें दशक में बड़े पर्दे पर अमिताभ द्वारा निभाए गए किरदार के समान है। इस बेतुकी तुलना पर बिग बी के प्रशंसक जहां फाजली से नाराज हो गए हैं, वहीं साहित्यिक जगत में भी उबाल है।

फाजली उर्दू के वरिष्ठ शायर व फिल्म गीतकार हैं। उन्होंने लिखा, 'एंग्री यंगमैन को 70 के दशक तक ही कैसे सीमित किया जा सकता है। मुझे लगता है कि 70 के दशक की तुलना में अधिक गुस्सा तो आज की जरूरत है और फिर अमिताभ को एंग्री यंगमैन की उपाधि से क्यों नवाजा गया? वह कसाब की तरह किसी और का बना हुआ खिलौना हैं।' उन्होंने लिखा, 'एक को हाफिज सईद ने बनाया था तो दूसरे को सलीम-जावेद की कलम ने गढ़ा। कसाब को फांसी दे दी गई, लेकिन उसे खिलौना बनाने वाले को पाकिस्तान खुलेआम उसका फातिहा पढ़ने के लिए आजाद छोड़े हुए है।

दूसरे खिलौने [बिग बी] की भी प्रशंसा की जा रही है, लेकिन खिलौना बनाने वाले [सलीम जावेद] को भुला दिया गया।' लेखक असगर वजाहत ने इस बयान को मूर्खतापूर्ण और हास्यास्पद बताया है। वहीं दूसरी ओर शायर असद जैदी ने फाजली का समर्थन किया है। असद ने कहा है कि 70 के दशक में अमिताभ ने कई ऐसे किरदार बड़े पर्दे पर निभाए जो अलोकतांत्रिक प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने वाले थे। ऐसे किरदारों को नायक बनाकर दर्शकों के बीच लाया जा रहा था। यह आज के आतंकवाद की तरह ही था। यह किरदार निश्चित रूप से सलीम जावेद की जोड़ी ने ही गढ़ा था। वजाहत ने कहा कि फिल्मों में किरदार निभाते अमिताभ के स्थान पर उनके व्यक्तिगत जीवन को देखने की जरूरत है। कसाब से उनकी तुलना करना हास्यास्पद है।

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