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चांद-मंगल पर जाने से नहीं दूर होगी गरीबी: जस्टिस काटजू

प्रेस परिषद के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि चांद और मंगल पर जाने से गरीबी दूर नहीं होगी। हमें ऐसे शोध करने होंगे, जो भुखमरी और गरीबी दूर सकें। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों से ज्ञान का स्‍त्रोत बनने का आह्वान किया।

By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Tue, 16 Dec 2014 09:00 AM (IST)
नई दिल्ली। प्रेस परिषद के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि चांद और मंगल पर जाने से गरीबी दूर नहीं होगी। हमें ऐसे शोध करने होंगे, जो भुखमरी और गरीबी दूर सकें। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों से ज्ञान का स्त्रोत बनने का आह्वान किया।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में दो दिवसीय नॉर्थ जोन कुलपतियों की मीट का शुभारंभ जस्टिस मरकडेय काटजू ने किया।

'शोध का लाभ मानव जाति को भी मिले' विषय पर आयोजित मीट के उद्घाटन सत्र में जस्टिस काटजू ने कहा, 'शोध के बिना कुछ नहीं हैं। हमें युवाओं को ऐसी शिक्षा देनी होगी जो उन्हें बेहतर इंसान बना सके।' चिंता भी जताई कि हर साल देश में एक करोड़ युवाओं को नौकरी की तलाश होती है। इनमें से पांच लाख ही रोजगार पाते हैं। बाकी में कुछ अपराधी बन जाते हैं तो कुछ दूसरे काम में लग जाते हैं। बेरोजगारी तो बड़ी समस्या है ही, दुनिया के एक तिहाई कुपोषित बच्चे हिंदुस्तान में हैं। यह बड़ी चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा, 'यूजीसी पांच साल में सभी यूनिवर्सिटी पर 41,000 करोड़ रुपये खर्च करती है। यह जनता के टैक्स का पैसा है। मगर, जनता को यूनिवर्सिटी क्या दे रही हैं? शोध ऐसे हों, जो जनता की गरीबी-भुखमरी दूर हो सके।'

गंगा सफाई पर पीएम मोदी की चुप्पी दुखद

जस्टिस काटजू ने कहा कि एएमयू गंगा-यमुना की सफाई में सहयोग करना चाहता है। कुलपति जमीरउद्दीन शाह ने 17 अक्टूबर को इस बारे में पत्र भी लिखा था। इसका अब तक जवाब नहीं आया। संभव है, प्रधानमंत्री व्यस्त हों, लेकिन पत्र का सांन लिया जाना चाहिए।

वीमेंस यूनिवर्सिटी की क्या जरूरत?

जस्टिस काटजू ने महिलाओं की अलग यूनिवर्सिटी की जरूरत पर तीखी टिप्पणी की। कहा, स्कूल और यूनिवर्सिटी में बहुत अंतर है। यूनिवर्सिटी में अर्जितान को शोध के जरिये आगे बढ़ाते हैं। ऐसे में छात्र-छात्रओं को अलग देखकर वीमेंस यूनिवर्सिटी की बात करना निहायत बेवकूफी है।

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