काटजू का नया वार, लाहोटी से पूछे ये 6 सवाल
न्यायपालिका में राजनीतिक हस्तक्षेप और मद्रास हाई कोर्ट में कथित तौर पर एक भ्रष्ट जज को नियुक्त किए जाने तथा इसके खुलासे के समय को लेकर विवादों में आए पूर्व जज मार्कडेय काटजू अब पूरी तरह से इस मामले को आगे भी जारी रखने को तैयार हैं। उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरसी लाहोटी से छह सवाल किए हैं।
By Edited By: Updated: Tue, 22 Jul 2014 02:21 PM (IST)
नई दिल्ली। न्यायपालिका में राजनीतिक हस्तक्षेप और मद्रास हाई कोर्ट में कथित तौर पर एक भ्रष्ट जज को नियुक्त किए जाने तथा इसके खुलासे के समय को लेकर विवादों में आए पूर्व जज मार्कडेय काटजू अब पूरी तरह से इस मामले को आगे भी जारी रखने को तैयार हैं। उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरसी लाहोटी से छह सवाल किए हैं।
गौरतलब है कि अपने ब्लॉग सत्यम ब्रूयात में काटजू मद्रास हाई कोर्ट में कथित तौर पर एक भ्रष्ट जज को नियुक्त किए जाने की कहानी बयान कर सनसनी फैलाने वाले फिर से खबरों में आ गए हैं। उधर, भाजपा की ओर से मांग की गई है कि इस मामले में मनमोहन सिंह को जवाब देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि फरवरी 2012 से ब्लॅाग लिख रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और प्रेस परिषद के अध्यक्ष काटजू पहले भी खबरों का हिस्सा बनने वाला लेखन कर चुके हैं, लेकिन इस बार उन्होंने न्यायपालिका के साथ-साथ राजनीति में भी भूचाल ला दिया है। ब्लॉग लिखकर धमाका करने के बाद काटजू ने विभिन्न चैनलों से बातचीत में न केवल अपने आरोपों को दोहराया, बल्कि उन्हें और धार भी दी। काटजू द्वारा पूछे गए सवाल इस प्रकार हैं:-
1.क्या यह सच नहीं है कि मैनें सबसे पहले चेन्नई से भ्रष्टाचार के एक गंभीर मामले में मद्रास हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के खिलाफ जस्टिस लाहोटी को गुप्त जांच कराने के लिए एक पत्र लिखा था। 2. क्या यह सच नहीं है कि जस्टिस आरसी लाहोटी ने मेरे आग्रह पर गुप्त जांच कराने के लिए आइबी को आदेश दिए थे।
3. क्या यह सच नहीं है कि कुछ समय बाद मैं दिल्ली में जस्टिस लाहोटी से मिला और चेन्नई वापस लौट गया। कुछ दिनों बाद उनका फोन आया था कि जिसमें उन्होंने आइबी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वह जज भ्रष्टाचार में लिप्त है। 4.क्या अतिरिक्त न्यायाधीश के खिलाफ प्रतिकूल आईबी रिपोर्ट मिलने के बाद जस्टिस लाहोटी ने तीन जजों वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक नहीं बुलाई थी, जिसमें वह खुद, जस्टिस वाई के सभरवाल और जस्टिस रूमा पाल शामिल थे? क्या आइबी रिपोर्ट पर गौर करते हुए कॉलेजियम ने भारत सरकार से अतिरिक्त न्यायाधीश का दो साल का कार्यकाल नहीं बढ़ाने की सिफारिश नहीं की थी? 5. इसके बाद कॉलेजियम की सिफारिश सरकार को भेजी गई थी और उन्होंने [जस्टिस लाहोटी] ने बाद में कॉलेजियम के बाकी जजों की राय लिए बिना क्या सरकार से अतिरिक्त न्यायाधीश का कार्यकाल एक साल बढ़ाने की सिफारिश नहीं की थी? 6. अगर आईबी रिपोर्ट में उस न्यायाधीश के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात कही गई थी, तो जस्टिस लाहोटी ने कार्यकाल का विस्तार देने की सिफारिश क्यों की? काटजू के खुलासे से घिरी कांग्रेस एआइएडीएमके ने मांगा था जज का सेवा विस्तार: हंसराज