काटजू ने फिर साधा पूर्व सीजेआइ बालाकृष्णन पर निशाना
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने अपने ताजा ब्लॉग से एक नया विवाद भड़का दिया। उन्होंने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) केजी बालाकृष्णन ने मद्रास हाईकोर्ट के खराब छवि वाले एक जज को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने के ि
By Edited By: Updated: Mon, 11 Aug 2014 08:31 PM (IST)
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने अपने ताजा ब्लॉग से एक नया विवाद भड़का दिया। उन्होंने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) केजी बालाकृष्णन ने मद्रास हाईकोर्ट के खराब छवि वाले एक जज को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने के लिए पूरा जोर लगाया था। इसमें तब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कपाड़िया ने भी उनका साथ दिया था।
जस्टिस काटजू ने लिखा है कि सीजेआइ बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली उस कोलेजियम में न्यायमूर्ति एसएच कपाड़िया भी सदस्य थे। यह कोलेजियम उस जज को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने में करीब-करीब कामयाब भी हो गई थी लेकिन तमिलनाडु के वकीलों ने उसके इस प्रयास को उस जज के खिलाफ भ्रष्टाचार के बहुत सारे दस्तावेजी सुबूत पेशकर नाकाम कर दिया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बालाकृष्णन इस पर टिप्पणी के लिए अभी उपलब्ध नहीं हैं। वह मलेशिया के सरकारी दौरे पर हैं और इस सप्ताह के अंत तक आएंगे। जस्टिस काटजू ने इससे पहले बालाकृष्णन और सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य पूर्व मुख्य न्यायाधीशों पर आरोप लगाया था कि तीनों ने संप्रग शासन के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे तमिलनाडु के एक जज को बनाए रखने के लिए अनुचित समझौते किए थे। बालाकृष्णन ने इन आरोपों को निराधार बताया था। काटजू ने रविवार को पोस्ट किए ब्लॉग में नए दावे किए हैं और जस्टिस कपाड़िया की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया भी व्यक्त की है। पूर्व सीजेआइ कपाड़िया ने कहा था कि वह किसी भी अयोग्य जज को सुप्रीम कोर्ट नहीं लाए। इसकी प्रतिक्रिया में काटजू ने लिखा है, 'मैं उन्हें याद दिला सकता हूं कि तत्कालीन सीजेआइ केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली कोलेजियम में जस्टिस कपाड़िया एक सदस्य थे। यह कोलेजियम पूरी तरह से अनुपयुक्त व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट लाने में लगभग सफल हो गई थी।' काटजू ने आगे लिखा है, जब मैं मद्रास हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश था तो वह खराब छवि वाला जज मद्रास हाईकोर्ट में था। इसलिए मैं उसकी खराब छवि के बारे में जानता हूं। बाद में उसे एक दूसरे हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया। उसके बाद उसे प्रोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट में लाने के बारे में विचार किया जाने लगा। एक दिन भोजनावकाश के समय मैं जस्टिस कपाड़िया के चैंबर में गया और उस जज की खराब रेपुटेशन के बारे में उन्हें बताया और कहा कि मैं कोलेजियम में नहीं हूं और आप हैं इसलिए आप जो उचित समझते हैं वह करें।
यह सुनकर जस्टिस कपाड़िया ने मुझे धन्यवाद दिया था और कहा था कि भविष्य में भी ऐसी कोई सूचना हो तो उन्हें दें। इसके बावजूद उस जज के नाम की संस्तुति उस कोलेजिम ने की इससे कोलेजियम की ईमानदारी पर सवाल उठता है। इस बारे में बालाकृष्णन को जानकारी देने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि वही उस जज को सुप्रीम कोर्ट में लाने के लिए जोर लगाए हुए थे। 'कोलेजियम व्यवस्था दोषहीन नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के किसी पूर्व न्यायाधीश द्वारा इस तरह का हमला वांछित नहीं है। - सोली सोराबजी, पूर्व अटॉर्नी जनरल