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जल प्रलय में मारे गए शवों को भी बारी का इंतजार

रुद्रप्रयाग, अजय खंतवाल। जो यात्री केदारनाथ त्रासदी में बच निकले उन्हें पांच दिन तक मदद का इंतजार करना पड़ा और जो त्रासदी के शिकार हो गए उनके शवों को चिता के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। चूंकि सेना केदारनाथ से लौट चुकी है, इसलिए दाह संस्कार का कार्य स्थानीय पुलिस प्रशासन के ही जिम्मे है और उन्हें तमाम मुश्किलें पेश आ रही हैं।

By Edited By: Updated: Fri, 28 Jun 2013 08:50 PM (IST)

रुद्रप्रयाग [अजय खंतवाल]। जो यात्री केदारनाथ त्रासदी में बच निकले उन्हें पांच दिन तक मदद का इंतजार करना पड़ा और जो त्रासदी के शिकार हो गए उनके शवों को चिता के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। चूंकि सेना केदारनाथ से लौट चुकी है, इसलिए दाह संस्कार का कार्य स्थानीय पुलिस प्रशासन के ही जिम्मे है और उन्हें तमाम मुश्किलें पेश आ रही हैं।

तस्वीरों में देखें: मदद की गुहार

केदारनाथ आपदा में मारे गए लोगों में से 18 का दाह संस्कार 26 जून को हुआ और 15 का 27 जून को। अभी सैकड़ों शवों का दाह संस्कार बाकी है।

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प्रशासन तीन सौ से अधिक शव बरामद करने की पुष्टि कर चुका है। अन्य शवों की खोज भी की जानी है। गौरीकुंड और रामबाड़ा में तो अभी तक लावारिश पड़े शव एकत्रित ही नहीं हो पाए हैं।

तस्वीरें देख कलेजा फट जाए

केदारनाथ के विकट मौसम के कारण यहां दाह संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था करना भी एक गंभीर चुनौती है। पहले वायु सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से लकड़ी पहुंचाई गई थी। अब प्रशासन को लकड़ी जुटाना काफी मुश्किल हो रहा है। तीन सौ से अधिक शवों के लिए 1500 क्विंटल लकड़ी की जरूरत होगी। प्रशासन के पास मौजूद हेलीकॉप्टरों की बात करें तो उनसे एक समय में दो क्विंटल लकड़ी ही गिराई जा सकती है। केदारनाथ में राहत-बचाव के लिए बनाए गए नोडल अधिकारी आइएएस रविनाथ रामन का कहना है कि प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है कि शीघ्र अधिक से अधिक शवों का दाह संस्कार हो सके।

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