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'लोकसभा चुनाव हारने के बाद रो पड़े थे अरविंद केजरीवाल'

लोकसभा चुनाव में करारी हार और आम आदमी पार्टी से एक के बाद एक कई नेताओं के किनारा कर लेने के बाद अरविंद केजरीवाल पूरी तरह टूट गए थे। खासकर जब योगेंद्र यादव जैसे आप के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उनके पार्टी को चलाने के तरीके को

By manoj yadavEdited By: Updated: Sun, 08 Mar 2015 09:12 AM (IST)
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में करारी हार और आम आदमी पार्टी से एक के बाद एक कई नेताओं के किनारा कर लेने के बाद अरविंद केजरीवाल पूरी तरह टूट गए थे। खासकर जब योगेंद्र यादव जैसे आप के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उनके पार्टी को चलाने के तरीके को लेकर सवाल उठाने लगे तो केजरीवाल रो पड़े थे और पद से इस्तीफा देने की पेशकश भी कर दी थी। उनके मुंह से शब्द नहीं निकले थे और फर्श पर गिर गए थे।

'आप' की दिल्ली इकाई के संयोजक और केजरीवाल के विश्वासपात्र आशुतोष ने अपनी किताब ‘द क्राउन प्रिंस, द ग्लैडीएटर एंड द होप’ में इस बात का खुलासा किया है। उन्होंने लिखा है कि दिल्ली के जंगपुरा में प्रशांत भूषण के आवास पर पिछले साल छह से आठ जून तक आप की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई थी। पार्टी की हार के कुछ ही हफ्ते बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अवमानना मामले में जमानत लेने से इंकार पर केजरीवाल जेल भेज दिए गए थे। हार के बाद लोकतांत्रिक ढंग से काम करने के बजाय यादव ने भी केजरीवाल पर पार्टी सुप्रीमो के अंदाज में काम करने पर सवाल उठा दिया था। कभी केजरीवाल की सहयोगी रही शाजिया इल्मी और अन्य नेताओं ने आंतरिक लोकतंत्र के अभाव का हवाला देकर पार्टी छोड़ दी थी।

कार्यकारिणी की बैठक के बारे में किताब में लिखा गया है, ‘अरविंद का चेहरा उतरा हुआ था। वह कमरे से बाहर जाने के लिए उठे। उन्होंने कुछ कहना शुरू किया लेकिन पूरा नहीं कर सके। वह रो पड़े। उनकी आंखों से आंसू गिर रहे थे व फर्श पर गिर गए। मैं (आशुतोष) और आप की नेता अंजली दमानिया जल्दी उनके पास पहुंचे। दमानिया ने उन्हें सहारा दिया। उसके तुरंत बाद वह रोने और चिल्लाने लगीं- ‘हम सभी को अपने आप पर शर्म आनी चाहिए। हम लोगों ने उन्हें जो दिया वह यही है।

’कुछ ही देर में जब अरविंद ने खुद को संभाल लिया तब तक सभी ने उन्हें चारों ओर जमा हो गए थे।’ आशुतोष ने अपनी किताब में लिखा है, अरविंद ने कहा था ‘मैंने अपना काम नहीं छोड़ा। मेरे जीवन की दूसरी अच्छी चीजों में सिर्फ यह रही कि मैं पार्टी का एक संयोजक बना। मैं इसे नहीं चाहता। कृपया किसी को राष्ट्रीय संयोजक चुन लें। उनकी आंखें एक बार फिर गीली हो गईं। उस बैठक में मौजूद नेताओं का कहना है कि उसमें केजरीवाल तीन बार रोए थे। संयोग से पिछले हफ्ते हुई आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी केजरीवाल ने राष्ट्रीय संयोजक पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। महाराष्ट्र के आप नेता मयंक गांधी के अनुसार ‘केजरीवाल ने कहा था कि यदि भूषण और यादव इसके हिस्सा रहे तो वह आप के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में काम नहीं कर पाएंगे।’

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