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दिल्ली को धोखा देकर भागे केजरी, दो महीने भी नहीं चला सके सरकार

दिल्ली में नई किस्म की राजनीति का स्वाद चखाने का वादा कर सत्ता में आए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दो महीने से पहले ही सरकार छोड़ कर भाग खड़े हुए। लोकसभा चुनाव में उतरने की हड़बड़ी में आम आदमी पार्टी [आप] के मुखिया ने जन लोकपाल बिल को इसका बहाना बना कर शुक्रवार को उपराज्यपाल नजीब जंग को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

By Edited By: Updated: Sat, 15 Feb 2014 03:14 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दिल्ली में नई किस्म की राजनीति का स्वाद चखाने का वादा कर सत्ता में आए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दो महीने से पहले ही सरकार छोड़ कर भाग खड़े हुए। लोकसभा चुनाव में उतरने की हड़बड़ी में आम आदमी पार्टी [आप] के मुखिया ने जन लोकपाल बिल को इसका बहाना बना कर शुक्रवार को उपराज्यपाल नजीब जंग को अपना इस्तीफा सौंप दिया। साथ ही उन्होंने बेहद चालाकी से बनाई अपनी रणनीति के तहत सरकार के जाने का समय और मुद्दा पहले से तय कर लिया था। इसी के तहत उन्होंने दिल्ली विधानसभा में असंवैधानिक रूप से इस बिल को पेश करने की कोशिश की जबकि भाजपा और कांग्रेस ने इसे नाकाम कर दिया।

केजरीवाल ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि 28 दिसंबर को बनी दिल्ली की अपनी सरकार को चलाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है। विधानसभा में उनकी ओर से असंवैधानिक तरीके से जन लोकपाल बिल पेश करने का प्रस्ताव गिर गया। इसके बाद उन्होंने उपराज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि इसे अपनी शहादत बनाने की उन्होंने भरपूर कोशिश की। कहा, 'हम यहां कुर्सी नहीं देश को बचाने के लिए आए हैं। भ्रष्टाचार दूर करने के लिए हजार बार मुख्यमंत्री की कुर्सी दाव पर लगाने को तैयार हूं। देश पर कुर्सी क्या जान भी देनी पड़े तो अपने आप को सौभाग्यशाली समझूंगा।'

इससे पहले उनकी सरकार की ओर से जन लोकपाल बिल को सदन में पेश करने का प्रस्ताव गिर गया। उनकी पार्टी को छोड़ सभी सदस्यों ने इस प्रक्रिया को गैर-कानूनी बताते हुए इसका विरोध किया। 70 सदस्यों वाली विधानसभा में बिल को पेश किए जाने के खिलाफ 42 सदस्यों ने वोट किया। इनमें भाजपा के 32, कांग्रेस के आठ, जद (यू) के एक विधायक के साथ ही एक निर्दलीय विधायक भी शामिल थे। जबकि इसके पक्ष में 27 मत पड़े, जिनमें आप के बागी विनोद कुमार बिन्नी भी शामिल थे।

पूरे मामले में केजरीवाल की भूमिका की निंदा करते हुए विपक्ष के नेता हर्षवर्धन ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री झूठ बोलकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'एक दिन पहले से ही पूरा सदन दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती के अमर्यादित व्यवहार के खिलाफ उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहा था। मगर वे इसे छोड़कर पहले असंवैधानिक तरीके से जन लोकपाल बिल पेश करना चाहते हैं।'

इसी तरह दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इस पूरे मामले पर केजरीवाल के रवैये को बचकाना करार दिया है। उन्होंने कहा, 'जब उपराज्यपाल ने कहा है कि इसे पेश करना ही गैरकानूनी है तो फिर वे कैसे इसे रखने की जिद कर सकते हैं। हमने उन्हें कहा भी कि आप देश के संविधान के मुताबिक चलें।' लेकिन मुख्यमंत्री अपनी बात पर अड़े रहे। केजरीवाल ने कहा, 'मैंने मुख्यमंत्री के रूप में संविधान की शपथ ली थी, केंद्र सरकार के आदेशों की नहीं। इस संविधान के लिए मैं जान तक देने को तैयार हूं।'

विधानसभा में प्रस्ताव गिर जाने के बाद अपने भाषण में केजरीवाल के भाषण से भी साफ था कि उनकी पूरी योजना अब लोकसभा चुनाव लड़ने और संसद पहुंचने पर ही केंद्रित है। उन्होंने कहा, 'पार्टी बनी थी तो हमने कहा था कि यह आंदोलन सड़क से संसद तक जाएगा। हम सड़क पर भी आंदोलन करेंगे, संसद में भी।' केजरीवाल को 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में सिर्फ 28 सीटें मिली थीं। मगर कांग्रेस के समर्थन से उन्होंने 28 दिसंबर को यहां सरकार बना ली थी।

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