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केजरीवाल के अडऩे पर ही हुआ निष्कासन

आम आदमी पार्टी (आप) के दो बड़े नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी की शीर्ष इकाई राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से अरविंद केजरीवाल के ही कहने पर बाहर किया गया है।

By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Fri, 06 Mar 2015 08:49 AM (IST)
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नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (आप) के दो बड़े नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी की शीर्ष इकाई राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से अरविंद केजरीवाल के ही कहने पर बाहर किया गया है। यह बात पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मयंक गांधी ने खुले तौर पर कही है। उधर, यादव ने कहा है कि वे जल्दी ही पार्टी में एक सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर हरियाणा में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ लोगों को जागरूक करने में जुटने वाले हैं।

बैठक में शामिल रहे गांधी ने साफ तौर पर कहा है कि 26 फरवरी को जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लोग केजरीवाल से मिलने गए थे तो उन्होंने साफ तौर पर कह दिया था कि अगर भूषण और यादव पीएसी में रहे तो वे पार्टी संयोजक के तौर पर काम नहीं कर पाएंगे। भूषण और यादव को बाहर निकाले जाने के मामले में पहली बार आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के किसी सदस्य ने खुल कर बोला है। मयंक गांधी ने ब्लॉग लिखकर कहा है कि पार्टी की ओर से बैठक के बारे में बाहर कोई जानकारी नहीं देने के आदेश के बावजूद वे यह बातें सार्वजनिक कर रहे हैं, क्योंकि वे अपनी पहली जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं के प्रति समझते हैं।

गांधी ने दावा किया है कि यादव ने उनसे बातचीत में कहा था कि वे और भूषण पीएसी छोड़ने को तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने दो फार्मूले भी रखे थे। एक के मुताबिक वोटिंग के जरिये पीएसी का नए सिरे से चुनाव कर लिया जाए और भूषण व यादव इसमें उम्मीदवारी नहीं करेंगे। जबकि उनका दूसरा प्रस्ताव था कि पीएसी यूं ही चलती रहे और भूषण व यादव उसकी बैठकों में शामिल नहीं होंगे। मयंक गांधी ने कहा है कि खुद पीछे हटने के ऐसे फार्मूले के बावजूद जब मनीष सिसोदिया ने भूषण और यादव को बाहर करने का प्रस्ताव किया तो उन्हें ज्यादा हैरानी हुई।

हालांकि, कार्यकारिणी की बैठक के दौरान भूषण और यादव के पक्ष में वोट करने वाले राकेश सिन्हा ने गांधी के ब्लॉग पर भी सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने कहा है कि गांधी जो कह रहे हैं वह पूरा सच नहीं है और जल्द ही कुछ और सच्चाई भी सामने आ सकती है। गांधी ने भूषण और यादव को हटाए जाने के प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। साथ ही उन्होंने अब पार्टी से मांग की है कि इस बैठक के ब्योरे (मिनट्स) सार्वजनिक किए जाएं। उनका कहना है कि अन्ना आंदोलन के दौरान जब सरकार लोकपाल साझा मसौदा समिति की बैठकों के ब्योरे सार्वजनिक नहीं करने को कहती थी तब भी केजरीवाल बाहर आकर सबसे पहले इस बारे में बताते थे। अब यही पारदर्शिता पार्टी को दिखानी चाहिए।

उधर, पीएसी से निकाले जाने के बावजूद गुरूवार को योगेंद्र यादव ने कहा कि वे भू अधिग्रहण कानून के खिलाफ हरियाणा में लोगों को जागरूक करने में तुरंत जुटने वाले हैं। उन्होंने कहा, 'दुनिया भर से पार्टी के स्वयंसेवकों के संदेशों की बाढ़ आई हुई है। मैंने सबसे अपील की है कि वे आम आदमी पार्टी के विचार में यकीन रखें। स्वराज, लोकतंत्र, नैतिकता और सम्मान के मुद्दों पर पार्टी के साथ काम करता रहूंगा।' हालांकि उन्होंने मयंक गांधी के बयान पर कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

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