बेटी रूबिया के अपहरण को लेकर सुर्खियों में रहे थे मुफ्ती मोहम्मद सईद
मुफ्ती की बेटी रूबिया के अपहरण और उसके बदले आतंकियों की रिहाई के बाद से घाटी में आतंकियों के हौंसले बुलंद हुए। इस घटना का राज्य पर दूरगामी प्रभाव देखा गया। कहा जाता है कि इस अपहरण कांड के बाद से ही घाटी में आतंकवाद तेजी से बढ़ा और 1990
By anand rajEdited By: Updated: Thu, 07 Jan 2016 10:46 AM (IST)
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया। फिलहाल राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार चला रहे मुफ्ती का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा और उन्हें एक मजबूत इरादे वाले मृदुभाषी नेता के रूप में देखा जाता था।
ये भी पढ़ेंः नेताओं ने मुफ्ती के निधन पर जताया शोक, जानिए किसने क्या कहा लेकिन एक बड़े राजनेता के रूप में उनकी छवि को तब बड़ा झटका लगा था जब 1989 में उनकी बेटी रूबिया के अपहरण के बाद आतंकियों को रिहा किया गया था। इस घटना का राज्य पर दूरगामी प्रभाव देखा गया। कहा जाता है कि इस अपहरण कांड के बाद से ही घाटी में आतंकवाद तेजी से बढ़ा और 1990 से वादी में कश्मीरी पंडितो के विस्थापन की कहानी शुरू हुई।यह था रूबिया अपहरण कांड
2 दिसंबर 1989 को विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने शपथ ली और मुफ्ती मोहम्मद सईद को गृहमंत्री बनाया गया। उन्हें गृहमंत्री बनाने की वजह साफ थी कि घाटी में बढ़ रहे असंतोष और आतंकवादी घटनाओं के मद्देनजर कश्मीरियों को भरोसा दिलाया जा सके। लेकिन इसके 6 दिन बाद ही जेकेएलफ यानी जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट ने मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया का अपहरण कर लिया। वी पी सिंह की सरकार के सामने बड़ी चुनौती थी और इस चुनौती से निपटने और रुबिया की आजादी की कीमत सरकार को पांच आतंकियों को रिहा कर चुकानी पड़ी। 122 घंटे बाद रूबिया रिह हो चुकी थी लेकिन मुफ्ती के दामन पर षडयंत्र का दाग लग गया। जो आतंकी रिहा किए गए थे उनमें शोख मोहम्मद, शेर खान, नूर मोहम्मद कलवल, जावेद जरगार और अल्ताफ बट शामिल थे।
इसके बाद बदली घाटी माना जाता है कि इस वक्त तक घाटी में आतंकवाद सिर उठाने में सक्षम नहीं था लेकिन अपहरण और उसके बदले 5 आतंकियों की रिहाई ने आतंकवाद को पनपने का मौका दे दिया। 1990 में फिर कश्मीरी पंडितो के विस्थापन की कहानी प्रारंभ हुई जो घाटी से उनके सफाए पर खत्म हुई। 1990 से 1995 तक अपहरण का एक लंबा दौर चला। देश में उन दिनों इस बात पर काफी बहस चली कि अगर वीपी सिंह की सरकार ने रूबिया सईद के मामले में घुटने नहीं टेके होते तो शायद आतंकवादियों को इतनी शह नहीं मिल पाती।चुनाव से पहले गर्माया था मुद्दा रूबिया अपहरण कांड घाटी में 2014 में चुनाव से पहले गर्माया था। इसमें घाटी के ही एक अलगाववादी नेता हिलाल वार की किताब ‘ग्रेट डिस्क्लोजरः सीक्रेट अनमास्क्ड’ में आरोप लगाया गया है कि रूबिया का अपहरण महज एक राजनीतिक नाटक था।