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जानें, यूपी जीतने के लिए भाजपा किस रणनीति पर कर रही है काम

उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा कई मोर्चों पर काम कर रही है। पार्टी खासतौर से दलित समुदाय में पैठ बनाने के लिए खास रणनीति बना रही है।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Tue, 07 Jun 2016 01:00 PM (IST)
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नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में करीब 9 महीने की देरी है। लेकिन उत्तर प्रदेश की चुनावी जमीन पर रणनीतिक बिसात बिछाए जा रहे हैं। सहारनपुर में विकास पर्व की रैली के साथ ही भाजपा ने चुनावी आगाज का शंखनाद कर दिया है। भाजपा के रणनीतिकारों को यकीन है कि सवर्ण-दलित समाज के गठजोड़ से वो प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो सकते हैं।

यूपी की राजनीति में भाजपा एक दशक से गायब

राजनाथ सिंह की प्रदेश की सत्ता से रुखसती के बाद भाजपा करीब एक दशक से राज्य की चुनावी तस्वीरों से गायब है। लेकिन 2014 के आम चुनावों में अप्रत्याशित कामयाबी के बाद पार्टी को ये लगने लगा है कि वो उत्तर प्रदेश की दो ध्रुवीय राजनीति में सेंध लगाकर अपनी जगह बना सकती है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक पार्टी को लगता है कि मौजूदा समाजवादी पार्टी सरकार के खिलाफ जनता में रोष है। इसका फायदा बसपा को स्वाभाविक रूप से मिल सकता है। लिहाजा उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए दलित समाज में अपनी पैठ बढ़ानी होगी। उत्तर प्रदेश में दलित समाज करीब 23 फीसद है। दलित समुदाय का एक बड़ा हिस्से में जाटव हैं। जिसका झुकाव स्वाभाविक तौर पर बसपा के साथ है। ऐसे में दलित समाज के बचे हुए हिस्से को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा काम कर सकती है।

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अंबेडकर को बनाया हथियार

भाजपा, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को अपने साध्य के तौर पर देख रही है। इसकी आगाज पीएम ने दिल्ली में अंबेडकर मेमोरियल और उनके जन्मदिन के मौके पर ये कह कर दी कि जो दल बाबा साहेब के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कभी भी उनके बारे में नहीं सोचा। वो बाबा साहेब को सिर्फ एक ऐसे हथियार के तौर पर देखते रहे जिसके जरिए उन्होंने दलित समुदाय के एक बड़े हिस्से के साथ छल किया। दलित समुदाय में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए पार्टी बौद्ध भिक्षुओं का सहारा ले रही है।

तीन चरणों में अभियान

दलितों को रिझाने के लिए भाजपा तीन चरणों में एक अभियान चला रही है जिसकी अगुवाई डॉ धम्म विरियो पूर्व राज्यसभा सदस्य कर रहे हैं। उनकी अगुवाई में धम्म चेतना यात्रा की शुरुआत हुई। जिसके पहले चरण का समापन हो चुका है। धम्म चेतना यात्रा राज्य के सभी 75 जिलों में जाएगी। पहले चरण की यात्रा की शुरुआत सारनाथ(वाराणसी) से हुई थी जो गोरखपुर में समाप्त हुई। गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ से शानदार ढंग से स्वागत किया। धम्म चेतना यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत बहराइच से होनी है। दूसरे चरण की इस यात्रा में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में दलित समुदाय से जुड़ने की कवायद की जा रही है। तीसरे चरण की यात्रा मध्य यूपी और बुंदेलखंड को कवर किया जाएगा। पार्टी ने 14 अक्टूबर को लखनऊ में एक बड़ी रैली करेगी।

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पीएम के सहारे जीत का भरोसा

भाजपा की कार्यसमिति ने ये फैसला किया है कि पीएम मोदी की प्रत्येक महीने कम से कम एक रैली जरूर हो। धम्म चेतना यात्रा में बौद्ध भिक्षु ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि किस तरह से मायावती ने दलितों को छला है। धम्म विरियो का कहना है कि जिन आदर्शों को लेकर कांशीराम चले थे उन आदर्शों से वो पूरी तरह भटक चुकी हैं। हाल ही में दलित समुदाय में अपनी पैठ बनाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने वाराणसी में दलित शख्स के घर भोज में भी शामिल हुए थे।

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