भारत से क्यों इतना चिढ़ा हुआ है चीन, एक्सपर्ट की जुबानी जानें- क्यों खास है कल होने वाली सैन्य वार्ता
भारत और चीन की सेना के अधिकारियों के बीच बुधवार को अहम सैन्य वार्ता होने वाली है। इसको लेकर भारत को काफी उम्मीदें हैं। हालांकि चीन अपने अड़ियल रवैये पर कायम है। इस वजह से पिछली वार्ता बेनतीजा रही थी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 11 Jan 2022 03:28 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। भारत और चीन के बीच 12 जनवरी (बुधवार) को एक अहम सैन्य वार्ता होने वाली है। इसका मकसद दोनों देशों के बीच सीमा पर बने गतिरोध को खत्म करना है। हालांकि, चीन के अड़ियल रवैये की वजह से अब तक सीमा पर गतिरोध जारी है। इसके अलावा चीन लगातार ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने में लगा है, जिसकी वजह से हालात लगातार खराब हो रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले दिनों ही चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों का नाम अपने हिसाब से बदल दिया था। हालांकि, भारत ने इस पर न केवल कड़ी आपत्ति जताई थी, बल्कि ये भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर की ही तरह अरुणाचल प्रदेश भी भारत का अभिन्न हिस्सा है। वहीं चीन का कहना है कि ये पूर्वी तिब्बत का हिस्सा है, जो चीन के इलाके में आता है।
बहरहाल, बुधवार को जो बैठक दोनों सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच होने वाली है उसमें भारत का जोर हाट स्प्रिंग, डेप्सांग और डेमचोक में मई 2020 से पूर्व की स्थिति दोबारा करने पर होगा। भारत ने इस बात की भी उम्मीद जताई है कि इस बैठक में कोई नतीजा निकल सकेगा। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इससे पहले देानों सेना के अधिकारियों के बीच 10 अक्टूबर को 13वें दौर की सैन्य वार्ता हुई थी, जिसमें चीन के अड़ियल रवैये की वजह से किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका था। यही वजह है कि बुधवार को होने वाली सैन्य वार्ता को काफी अहम माना जा रहा है।
ये बैठक चशुल-मोल्डो पर होगी। इस बैठक में 14वीं कोर के कमांडर और रक्षा और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लेंगे। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एचएस प्रभाकर का मानना है कि चीन लगातार अपनी आक्रामकता का प्रदर्शन कर रहा है। वो न केवल भारत के साथ, बल्कि दूसरे देशों के साथ भी उसका यही रवैया है। वो अपनी ताकत के सामने सभी को झुकाना चाहता है। भारत को लेकर भी वो इसी तरह की गलतफहमी का शिकार है। बीते दो वर्षों के दौरान चीन ने भारत से लगती सीमा पर काफी आक्रामकता दिखाई है। इसका उसको खामियाजा भी उठाना पड़ा है। लेकिन जरूरत उन कदमों को उठाने की है, जिससे चीन इस तरह की हरकत दोबारा न कर सके। भारत पहले भी बेहद स्पष्ट तरीके से अपनी बात चीन के सामने रखता आया है। इस बार की वार्ता में भी वो ऐसा ही करेगा। भारत की कोशिश है कि हाट स्प्रिंग, डैमचोक और डेप्सांग के इलाके से चीन अपनी सेना को पीछे ले जाकर पहले की स्थिति बहाल करे।
प्रोफेसर प्रभाकर का ये भी कहना है कि चीन के आक्रामक रवैये की एक बड़ी वजह ये भी है कि भारत बड़ी तेजी के साथ अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहा है। भारत को रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम भी मिलने वाला है, जिससे भारत की सीमा सुरक्षा और पुख्ता हो जाएगी। जरूरत इस बात की भी है कि भारत भी चीन की हैकड़ी के आगे मजबूत दीवार बना रहे। यदि भविष्य में चीन सीमा पर किसी तरह की कोई गलती करता है तो उसका मुंहतोड़ जवाब दे। वर्तमान में भारत को अमेरिका का पूरा साथ है, जिसकी वजह से इस पूरे क्षेत्र में भारत की स्थिति काफी मजबूत है। लिहाजा हमारे पीछे हटने या कमजोर पड़ने की कोई वजह भी नहीं है।
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