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लोकसभा में नेतृत्व की कमी पड़ रही कांग्रेस पर भारी

लोकसभा में कांग्रेस नेतृत्व की कमी साफ झलकने लगी है और वह उसका खमियाजा भी भुगतने लगी है। हाल यह है कि सदन में तत्काल फैसला लेने के लिए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को नए और काफी कम अनुभव वाले सदस्यों पर निर्भर करना पड़ रहा है। वहीं गुरुवार को

By manoj yadavEdited By: Updated: Fri, 05 Dec 2014 12:17 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस नेतृत्व की कमी साफ झलकने लगी है और वह उसका खमियाजा भी भुगतने लगी है। हाल यह है कि सदन में तत्काल फैसला लेने के लिए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को नए और काफी कम अनुभव वाले सदस्यों पर निर्भर करना पड़ रहा है। वहीं, गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी विपक्ष को स्पष्ट कर दिया कि वह किसी भी दबाव में आए बिना सदन की भावना के अनुसार काम करती हैं। विपक्ष के नेताओं को भी चाहिए कि वह नियम कायदे से चलें।

निरंजन ज्योति के आपत्तिजनक बयान को लेकर पिछले तीन दिन से गतिरोध बरकरार है। गुरुवार को भी लोकसभा में शुरुआत से ही हंगामा जारी था। हालांकि कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्थगन प्रस्ताव किसी अन्य विषय पर दिया था। लोकसभा अध्यक्ष ने इसे नजरअंदाज करते हुए प्रश्नकाल जारी रखा और उसे पूरा किया।

विपक्ष में पहली और दूसरी पंक्ति में बैठने वाले कांग्रेस व विपक्ष के वरिष्ठ सदस्य गैर मौजूद थे और मोर्चा युवाओं के हाथ में था जिनमे से कई पहली बार चुनकर आए थे। इस बीच कुछ युवा सदस्यों के सुझाव पर खड़गे बोलने के लिए उठे तो महाजन ने उन्हें भी शून्यकाल शुरू होने तक समय नहीं दिया।

मौका मिला तो खड़गे ने परोक्ष रूप से यह आरोप जड़ दिया कि वह सत्तापक्ष के दवाब में काम कर रही हैं और विपक्ष को नजरअंदाज। महाजन ने भी तत्काल स्पष्ट कर दिया कि जब सदन में 400 सदस्य प्रश्नकाल चलाना चाह रहे हों तो वह नियम कायदे को ताक पर रखकर किसी को मौका नहीं दे सकती हैं।

गौरतलब है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद किसी को नहीं मिला है। जबकि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद कश्मीर चुनाव में व्यस्त होने के कारण गैर हाजिर हैं। महाजन ने कहा कि विपक्ष के नेताओं को चाहिए कि वह नियम कायदे को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक भूमिका निभाएं। नियम का पालन होगा तभी आसन की ओर से उनका संरक्षण होगा।

'दबाव में नहीं बहुमत की भावना के अनुसार करती हूं काम, कायदे कानून सेचलेंगे तभी मिलेगा बोलने का मौका।' -सुमित्रा महाजन, लोकसभा अध्यक्ष

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