बगावत रोकने में कामयाब हुए लालू, साथ आए नौ विधायक
मंगलवार को दिल्ली से पटना पहुंचे लालू प्रसाद यादव अरसे बाद इतने गुस्से में दिखाई दिए। गुस्से की इसी रौ में बोले, 'नीतीश ने साजिश किया है, अब की बार ऐसी पटकनियां देंगे कि जनम भर नहीं भूल पाएंगे।' कुछ घंटों के राजनीतिक कौशल का परिणाम था कि अलग हुए 13 विधायकों में से 9 उनके साथ थे। इसके बाद लालू योद्धा के रूप में पहले विधानसभा अध्यक्ष के आवास, फिर विधानसभा और उसके बाद राजभवन गए। उन्होंने घूम-घूमकर राजद को तोड़ने के नीतीश सरकार के प्रयास की बखिया उधेड़ी। इस दौरान कुछ
पटना [जागरण न्यूज नेटवर्क]। मंगलवार को दिल्ली से पटना पहुंचे लालू प्रसाद यादव अरसे बाद इतने गुस्से में दिखाई दिए। गुस्से की इसी रौ में बोले, 'नीतीश ने साजिश किया है, अब की बार ऐसी पटकनियां देंगे कि जनम भर नहीं भूल पाएंगे।' कुछ घंटों के राजनीतिक कौशल का परिणाम था कि अलग हुए 13 विधायकों में से 9 उनके साथ थे। इसके बाद लालू योद्धा के रूप में पहले विधानसभा अध्यक्ष के आवास, फिर विधानसभा और उसके बाद राजभवन गए। उन्होंने घूम-घूमकर राजद को तोड़ने के नीतीश सरकार के प्रयास की बखिया उधेड़ी। इस दौरान कुछ उत्साही कार्यकर्ताओं स्पीकर उदय नारायण चौधरी के न मिलने पर उनके आवास पर पत्थर फेंके।
वापस होने वाले नौ विधायकों के साथ विधानसभा सचिव फूल झा से मिले लालू ने उन्हें पत्र सौंपकर विधानसभा में अलग गुट बनाए जाने संबंधी जारी अधिसूचना को वापस लेने की मांग की। यह अधिसूचना सोमवार शाम 13 राजद विधायकों के हस्ताक्षरों वाला पत्र मिलने के बाद जारी की गई थी। इस पत्र में 13 विधायकों ने राजद से अलग होकर नीतीश सरकार को समर्थन देने की बात कही थी। सोमवार देर रात तक इनमें से आठ विधायकों ने अपने साथ धोखा होने और राजद में वापस होने की बात कही थी। ताजा घटनाक्रम के बाद अब राजद से अलग हुए गुट में प्रत्यक्ष तौर पर चार विधायक-सम्राट चौधरी, राघवेंद्र प्रताप सिंह, जावेद इकबाल अंसारी और अख्तरुल इमाम बचे हैं। इस प्रकार से राजद की टूट का आकार भले ही छोटा रह गया हो, लेकिन लालू को झटका तो लगा ही है। पूरा मामला अब कानूनी दांव-पेच में फंस गया है। जानकारों के अनुसार अलग गुट के विधायकों को राजद में वापसी के लिए भी दो तिहाई अर्थात दस विधायकों की एकजुटता की जरूरत होगी। उल्लेखनीय है कि चुनाव में राजद के 22 विधायक जीतकर आए थे और भाजपा के सरकार से अलग होने से पहले तक पार्टी बिहार में मुख्य विपक्षी दल की हैसियत में थी।