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भूमि अधिग्रहण बिल पर भी लोकसभा की मुहर

नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा विधेयक को लोकसभा से पारित कराने में सफल रही सरकार गुरुवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक को लोकसभा में पास करवाने में सफल रही। सरकार का दावा है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक में जमीन के बदले निष्पक्ष मुआवजे का प्रावधान किया गया है। विधयेक में ग्रामीण इलाकों में अधिगृहीत की जमीन के लिए बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा जबकि शहरी क्षेत्र में बाजार मूल्य से दो गुना मुआवजे का प्रस्ताव रखा गया है।

By Edited By: Updated: Fri, 30 Aug 2013 03:45 AM (IST)
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नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा विधेयक को लोकसभा से पारित कराने में सफल रही सरकार गुरुवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक को लोकसभा में पास करवाने में सफल रही। सरकार का दावा है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक में जमीन के बदले निष्पक्ष मुआवजे का प्रावधान किया गया है। विधयेक में ग्रामीण इलाकों में अधिगृहीत की जमीन के लिए बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा जबकि शहरी क्षेत्र में बाजार मूल्य से दो गुना मुआवजे का प्रस्ताव रखा गया है।

इसके अलावा प्रभावित लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की बात कही गई है ताकि जमीन अधिग्रहण के बाद किसानों की सामाजिक और आर्थिक दशा सुधारने में उनकी सहायता की जा सके। रमेश का कहना है कि इसे 'उचित मुआवजा और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन में पारदर्शिता का अधिकार विधेयक, 2012' नाम दिया गया है।

सरकार यह संदेश देना चाहती है कि व्यापक और सदियों पुराने अन्याय को खत्म करने के लिए वह दृढ़ संकल्प है। यह विधेयक 1894 में बने भूमि अधिग्रहण कानून की जगह लेगा जिसमें आज के समय के हिसाब से ढेरों कमियां हैं।

दूसरी तरफ, सूचना का अधिकार विधेयक-2013 पर भी गुरुवार को ही लोकसभा में चर्चा हो सकती है। इस विधेयक के संसद से पारित होते ही सभी राजनीतिक दल आरटीआइ कानून के दायरे से बाहर हो जाएंगे। केंद्र सरकार की ओर से राज्य मंत्री वी. नारायणसामी पहले ही यह विधेयक संसद के निचले सदन में पेश कर चुके हैं। केंद्रीय कैबिनेट ने एक अगस्त को आरटीआइ कानून में संशोधन कर राजनीतिक पार्टियों को इसके दायरे से बाहर रखने के फैसले पर मुहर लगाई थी।

राज्यसभा में आएगा कोलेजियम सिस्टम को खत्म करने वाला बिल

हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम सिस्टम को खत्म करने संबंधी विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में लाया जा सकता है। इस विधेयक के जरिये सरकार कोलेजियम सिस्टम को खत्म कर जजों की नियुक्ति का अधिकार न्यायिक नियुक्ति आयोग को सौंपेगी।

न्यायिक नियुक्ति आयोग में भारत के मुख्य न्यायाधीश के अलावा सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य जज, कानून मंत्री, सदस्य के रूप में दो प्रतिष्ठित जन व कानून मंत्रालय में न्यायिक सचिव शामिल होंगे।

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