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जानिए, स्कॉर्पीन लीक केस में रक्षा मंत्री पर्रिकर की क्या थी पहली प्रतिक्रिया

स्कॉर्पीन डाटा लीक केस में केंद्र सरकार ने नौसेना प्रमुख को जांच के आदेश दे दिए है। वहीं रक्षा जानकारों का कहना है कि स्कॉर्पीन में अब कुछ बदलाव करने पड़ेंगे।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Thu, 25 Aug 2016 01:34 PM (IST)
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नई दिल्ली। स्कॉर्पीन डाटा लीक मामले में फ्रेंच नेवी के एक पूर्व अधिकारी पर शक है। द ऑस्ट्रेलियन अखबार के मुताबिक फ्रेंच फर्म डीसीएनएस के लिए काम करने वाले अधिकारी ने पनडुबब्बी से जुड़ी जानकारियों को लीक किया है। ऐसा करने के पीछे उसका मकसद क्या था बता पाना मुश्किल है। इस बीच डीसीएनएस का कहना है कि फ्रेंच अथॉरिटी इस मामले की जांच कर तह तक जाने की कोशिश करेेंगे कि आखिर इस लीक के पीछे कौन है।इसके अलावा पनडुब्बी से जुड़े डाटा कहां से लीक हुए हैं।

स्कॉर्पीन में करने होंगे बदलाव

कई पूर्व नौसेना अधिकारियों ने कहा है कि यह देखना जरूरी है कि लीक हुए डाटा तैयार हो रही स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के खयाल से कितने उपयोगी हैं और उसके अनुसार इस परियोजना में आगे बदलाव करने होंगे।

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पूर्व नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश ने कहा कि सबसे पहले यह देखना होगा कि लीक जानकारी कितनी प्रासंगिक हैं? इससे कितना खतरा है? लीक दस्तावेज अगर सचमुच 2001 के हैं, तो जानकारियां पुरानी होंगी। लेकिन यदि ये वैध हैं तो पनडुब्बी कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाएंगी। फिर भी, शेष चार निर्माणाधीन पनडुब्बियों की डिजाइन आदि में बदलाव किए जा सकते हैं।

पूर्व कमोडोर और सोसाइटी ऑफ पॉलिसी स्टडीज के निदेशक उदय भास्कर ने भी कहा कि दस्तावेज की सच्चाई परखना सबसे पहला काम है। यह भी देखना चाहिए कि भारतीय स्कॉर्पीन के खयाल से इनका कितना महत्व है क्योंकि फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस दूसरे देशों को भी पनडुब्बी की आपूर्ति करती है।

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अवकाश प्राप्त रियर एडमिरल राजा मेनन ने कहा कि बहुत कुछ चीजें लीक हुई हैं लेकिन इसका बहुत मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि नौसेना मुख्यालय से पता चलता है कि हमारी पनडुब्बी के साथ कोई खतरा नहीं है। फिर भी, डाटा की सुरक्षा में सेंध नहीं लगनी चाहिए थी। डाटा का लीक होना गंभीर मसला है।

पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता एके एंटनी ने कहा कि यह "बहुत, बहुत गंभीर चिंता" की बात है। उन्होंने कहा कि यह देश की सुरक्षा को प्रभावित करने वाला है। सरकार को तुरत इसकी उच्चस्तरीय जांच के आदेश देने चाहिए।

क्या है मामला ?

नौसेनाके 235 अरब रुपए के स्कॉर्पीन पनडुब्बी प्रोजेक्ट के डॉक्यूमेंट लीक हो गए हैं। डॉक्यूमेंट 22,439 पेज के हैं। इनमें पनडुब्बी की तकनीकी खासियतों की जानकारी है। इन्हें हथियाकर कोई भी दुश्मन स्कॉर्पीन का सुरक्षा चक्र भेद सकता है।

किसने लीक के बारे में दी जानकारी

ऑस्ट्रेलियाई अखबार ‘द ऑस्ट्रेलियन’ ने दावा किया है कि उसके पास पनडुब्बी से जुड़े दस्तावेज हैं, जिन पर ‘रेस्ट्रिक्टिड स्कॉर्पीन इंडिया’ लिखा हुआ है। स्कॉर्पीन का डिजाइन फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस ने बनाया था। दस्तावेज दक्षिणपूर्व एशिया में एक कंपनी तक पहुंचाए गए। यह कैसे हुआ, इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

पर्रिकर बोले- मुझे रात 12 बजे पता चला

रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा, ‘मुझे रात 12 बजे लीक का पता चला। यह हैकिंग का मामला है। आने वाले कुछ दिनों में तस्वीर साफ होगी कि यह कितना खतरा है। नौसेना प्रमुख से रिपोर्ट मांगी गई है।’ हर साल एक स्कॉर्पीन नौसेना में शामिल होनी थी। अब देरी होगी। अब मॉडिफिकेशन के बाद ही इस्तेमाल किया जा सकेगा।

सबमरीन टेक्नोलॉजी में पाकिस्तान से पीछे

1810 टन की पाकिस्तान की अगस्ता 90 डी पनडुब्बी उसमें एयर इंडीपेंडेंट प्रपल्शन हैं, कई दिन पानी के नीचे रह सकती है। क्रू साइज 41 के आस-पास है। 1850 टन की हमारी स्कॉर्पीन 24 घंटे में एक बार सतह पर आना होता है। क्रू साइज 31 के आसपास है।

डील के 11 साल बाद मिली पहली स्कॉर्पीन

2005 में ये डील फाइनल हुई। उस वक्त प्रणब मुखर्जी रक्षामंत्री थे। इसे पाकिस्तानी सबमरीन 90डी को काउंटर करने के लिए लाया गया था।

5 सबमरीन और मिलनी हैं भारत को

पहली सबमरीन 2008 में मिलनी थी। मिली इस साल मई में। इस दौरान कीमत 25% बढ़ गई। इसी साल मई में पहली स्कॉर्पीन सबमरीन कलावरी का जलावरतरण हुआ।

लीक कांड खतरा क्यों ?

स्कॉर्पीनअपने क्लास में सबसे एडवांस्ड पनडुब्बी है। पानी में खामोशी से बढ़ती हैं। रडार भी नहीं पकड़ पाता है। पाकिस्तान या चीन लीक का फायदा उठा सकते हैं।

हमारी 13 पनडुब्बियाें में से छह ही चालू हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़त और भी मजबूत होगी।

अलग-अलग खासियत पर कितने पेज हुए लीक

अंडरवाॅटरसेंसर 4457

पानीके ऊपर के सेंसर 4209

युद्धप्रबंधन प्रणाली 4301

टॉरपीडोलॉन्च सिस्टम 493

कम्युनिकेशनसिस्टम 6841

नेविगेशनसिस्टम 2138