आईटी की नौकरी छोड़ बन गईं किसान, कर रहीं फूलों की खेती
सुदीप्ता घोष पेशेवर हुनर से कृषि जगत में नया अध्याय लिख रही हैं। कृषि उनके लिए कोई मजबूरी नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण प्रयोग का विषय है।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर, फिर आईबीएम में 14 वर्ष सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी और फिर नौकरी छोड़ कर उन्नत कृषि की ओर रुझान...यह कहानी है झारखंड की उन्नत महिला किसान सुदीप्ता घोष की। एक्सएलआरआई जैसे स्तरीय प्रबंधन संस्थान से हासिल प्रबंधन कौशल का सदुपयोग सुदीप्ता कृषि व्यवसाय में तरक्की हासिल करने के लिए भी बखूब कर रही हैं। अभी वह मुख्य रूप से फूलों की खेती कर रही हैं।
सुदीप्ता घोष पेशेवर हुनर से कृषि जगत में नया अध्याय लिख रही हैं। सुदीप्ता जमशेदपुर से 25 किलोमीटर दूर बसे एक छोटे से गांव के संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखती हैं। कृषि उनके लिए कोई मजबूरी नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण प्रयोग का विषय है। आज के दौर में उच्च शिक्षा में इतनी योग्यता रखने वाली लड़कियां तो दूर कोई लड़का भी कृषि की ओर श्रफझान नहीं रखता। ऐसे में सुदीप्ता का कृषि के प्रति पेशेवर रुझान प्रेरक साबित हो सकता है।
ऐसे मिली प्रेरणा
सुदीप्ता बताती हैं कि नौकरी के दौरान उन्हें महाराष्ट्र के कुछ गांवों में जाने का अवसर मिला। वहां उन्होंने गन्ना, अंगूर, अनार सहित कई तरह के फल और फूलों की खेती देखी, जिसमें पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती। इसके बाद ख्याल आया कि इसी तरह का मौसम झारखंड में भी है, फिर ऐसी खेती यहां क्यों नहीं होती। उन्होंने झारखंड में यह प्रयोग करने का संकल्प लिया, ताकि यहां के किसान एक फसली खेती, सब्जी उत्पादन से अलग भी कुछ हासिल कर सकें। किसी को बताने से बेहतर उन्होंने खुद मॉडल पेश करना बेहतर समझा, ताकि दूसरे भी प्रेरित हों।
ऐसे की शुरआत
सुदीप्ता के अनुसार, उन्होंने टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग के पास पांच एकड़ कृषि भूमि खरीदी। इसके बाद मैनेजमेंट संस्थान एक्सएलआरआई से स्वउद्यमिता प्रबंधन-विकास का कोर्स किया। यहां से प्रबंधन के गुर सीखने के बाद उन्होंने कृषिष कार्य शुरूकर दिया। सबसे पहले जरबेरा नामक फूल की खेती करने का फैसला लिया।
पहले अध्ययन फिर उत्पादन
सुदीप्ता बताती हैं, जरबेरा फूल सजावट के काम आता है। शहर के बाजार में इसकी मांग अधिक है। थोक व्यवसायी इसे बेंगलुर या कोलकाता से मंगवाते हैं। मैंने इसके बाजार, मांग, कीमत, गुणवत्ता इत्यादि का अध्ययन किया। स्थानीय फूल विक्रेताओं से संपर्क कर जब आश्वस्त हुई कि मुझे पर्याप्त बाजार मिल जाएगा, तब इसकी खेती शुरूकी। जमशेदपुर शहर में प्रतिमाह दस हजार जरबेरा स्टिक की बिक्री होती है।
सुदीप्ता करीब 18,000 स्टिक का उत्पादन कर रही हैं। अनार उत्पादन सुदीप्ता बताती हैं कि उनके उत्साह को देखते हुए उनके एक घरेलू मित्र ने टाटा-चाईबासा रोड पर करीब पांच एकड़ जमीन उन्हें दी है, जहां वह अब अनार की खेती करने जा रही हैं। उनका मानना है कि इस तरह की खेती इतने बड़े पैमाने पर झारखंड में कोई नहीं कर रहा है। यदि अन्य किसानों को इससे जोड़ने में सफल हुई, तो खुद को धन्य समझेंगी।
यह भी पढ़ें: प्रधानमंत्री के एप पर 'स्वच्छ भारत अभियान' को सबसे ज्यादा रेटिंग