जानिए- चोरी-चोरी कैसे आपकी नींद छीन रही है घर में इस्तेमाल होने वाली यह चीज
प्रकाश प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरनाक असर डाल रहा है। इससे जानवरों और इंसानों की नींद लेने की प्राकृतिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण से तो दुनिया जूझ ही रही है। अब विश्व में प्रकाश प्रदूषण (लाइट पॉल्यूशन) भी तेजी से बढ़ रहा है। रातों को रोशन करने वाली स्ट्रीट लाइट और अन्य साज-सज्जा में इस्तेमाल हो रही कृत्रिम रौशनी की चमक के कारण जानवरों, इंसानों और पेड़-पौधों का जीवन चक्र प्रभावित हो रहा है। यह इंसानी स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहा है। यह दावा जीएफजेड जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज के शोधकर्ताओं ने साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित शोध में किया है
खतरनाक असर
प्रकाश प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरनाक असर डाल रहा है। इससे जानवरों और इंसानों की नींद लेने की प्राकृतिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। उनका विकास प्रभावित हो रहा है। कीटों, मछलियों, चमगादड़ों, चिड़ियों और अन्य जानवरों की प्रवासन प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। इसका नकारात्मक असर पेड़-पौधों के विकास पर भी पड़ रहा है।
चौंकाने वाले नतीजे
शोधकर्ताओं को उम्मीद थी सोडियम लाइटों की अपेक्षा एलईडी बल्बों के बढ़े इस्तेमाल से अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे संपन्न देशों में कृत्रिम प्रकाश की चमक में कमी आएगी। लेकिन अमेरिका पहले जैसा रहा और ब्रिटेन व जर्मनी में यह अधिक बढ़ गई। ऐसा तब हुआ जब शोध में इस्तेमाल उपग्रह का सेंसर एलईडी लाइट के नीले प्रकाश को मापने में असफल रहा। अगर सफल होता तो नतीजे गंभीर होते।
सालाना हुई तेज वृद्धि
विश्व में प्रकाश प्रदूषण सालाना अधिक तेजी से बढ़ रहा है। 2012 से 2016 के बीच दुनिया में रात में कृत्रिम रोशनी वाले क्षेत्र में 2.2फीसद की सालाना दर से वृद्धि हुई। शोधकर्ताओं के मुताबिक एक अन्य शोध में 1992-2013 के बीच इसमें सालाना दो फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।
खास बातें
-विकासशील देशों में प्रकाश प्रदूषण सर्वाधिक तेजी से बढ़ रहा है।
-दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में भी लगातार वृद्धि।
-अमेरिका, नीदरलैंड, इटली और स्पेन में रात के समय कृत्रिम प्रकाश का इस्तेमाल सर्वाधिक।
-सीरिया, यमन और ऑस्ट्रेलिया में घटा।
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