जियो और जीने दो, सुप्रीम कोर्ट की कर्नाटक, तमिलनाडु को सलाह
कावेरी के पानी के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक और तमिलनाडु को 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत का पालने करने की सलाह दी है।
दिल्ली (प्रेट्र)। कावेरी के पानी के बंटवारे को लेकर कई दशकों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे कर्नाटक और तमिलनाडु को सुप्रीम कोर्ट ने 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत का पालने करने की सलाह दी है। जस्टिस दीपक मिश्रा और यूयू ललित की पीठ ने शुक्रवार को यह सलाह उस वक्त दी जब तमिलनाडु के वकील ने अदालत का ध्यान कर्नाटक के मुख्यमंत्री के इस बयान की ओर खींचा कि एक बूंद पानी भी नहीं छोड़ा जाएगा।
दरअसल, तमिलनाडु ने एक याचिका दाखिल कर राज्य के 40 हजार एकड़ क्षेत्र में खड़ी फसल बचाने के लिए कोर्ट से कर्नाटक को कावेरी का 50.52 टीएमसी फीट पानी छोड़ने के लिए निर्देश देने की मांग की है। इसके जवाब में कर्नाटक का कहना है कि वह पहले ही पानी की कमी से जूझ रहा है। शुक्रवार को भी कर्नाटक सरकार के वकील एफएस नरीमन ने कहा, पिछले कुछ महीनों में बारिश कम होने के कारण तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ना मुश्किल है।
कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण ने भी पानी की किल्लत वाले महीनों के लिए कर्नाटक को कोई विकल्प नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट पीठ ने राज्यों को सौहार्द के साथ रहने की नसीहत देते हुए कहा, 'हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि बारिश कितनी होगी, लेकिन यदि न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कोई फार्मूला दिया है तो कर्नाटक उसे मानने को बाध्य है।'पीठ इस याचिका पर अब 5 सितंबर को सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण ने 2007 में व्यवस्था दी थी कि समूचे कावेरी बेसिन से सालभर में तमिलनाडु 419, कर्नाटक 270, केरल 30 और पुडुचेरी 7 टीमसी फीट पानी ले सकते हैं।