पशुधन बनेगा सचमुच का धन
खेती में किसानों की आय का प्रमुख साधन पशुधन व डेयरी अब "सचमुच का धन" बनेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में किसानों के लिए पशुधन संजीवनी प्रदान की है।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Mon, 29 Feb 2016 08:05 PM (IST)
नई दिल्ली। खेती में किसानों की आय का प्रमुख साधन पशुधन व डेयरी अब "सचमुच का धन" बनेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में किसानों के लिए पशुधन संजीवनी प्रदान की है। बजट में पशुओं के स्वास्थ्य को गंभीरता लिया गया है, जिसमें प्रत्येक पशु का स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाएगा। इसे नकुल स्वास्थ्य पत्र के नाम से जाना जाएगा।
खेती से साथ किसानों के डेयरी उद्योग को भी ताकत दी गई है। अब इसे और ज्यादा फायदे का धंधा बनाने की पहल की गई है। डेयरी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए चार नई परियोजनाएं शुरु की जाएंगी। इन परियोजनाओं पर अगले कुछ सालों में 850 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है। पढ़ेंः आम बजट 2016: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की ये अहम घोषणाएं सरकार का मानना है कि खेती के अलावा डेरी उद्योग भी किसान और उनके परिवार की आय बढ़ाने का एक बड़ा साधन है। यही वजह है कि बजट में इसके विकास के लिए कई कदम उठाए गए है। माना जा रहा कि डेरी उद्योग के लिए उठाए गए इन कदमों से आने वाले सालों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
डेयरी उद्योग को बढावा देने वाली चार नई परियोजनाओं का प्रावधान किया गया है। इनमें पशुधन संजीवनी प्रमुख है, जिसमें पशुओं के स्वास्थ्य से जुड़ा कार्यक्रम होगा। जिसमें पशु स्वास्थ्य कार्ड (नकुल स्वास्थ्य पत्र) का प्रावधान रहेगा। दूसरा, उन्नत ब्रीडिंग प्रौद्योगिकी है, जिसमें तकनीक की मदद से अच्छी नस्ल के पशुओं की प्रजाति तैयार की जाएगी। ई-पशुधन हाट बनाने का प्रावधान भी किया गया है, जिसमें ब्रीडर और किसानों को आपस में जोड़ने के लिए यह एक ई-मार्किट पोर्टल होगा। चौथा, राष्ट्रीय जेनोमिक केंद्र होगा, जिसमें देसी प्रजनन को बढ़ावा दिये जाने वाले केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
पढ़ेंः आम बजट 2016: सरकार ने कोयले पर स्वच्छ उर्जा उपकर बढाकर दोगुना कियाखेती की मिठास बढ़ाएगी शहद खेती पर होने वाली प्रत्येक चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहद व मधुमक्खी की चर्चा जरूर करते रहे हैं। तभी तो आम बजट में शहद को प्राथमिकता के तौर पर लिया गया है। शहद के बढ़ी पैदावार का जिक्र करते हुए बजट में इसे और बढ़ाने पर जोर दिया गया है। शहद का उत्पादन बढ़कर लगभग एक लाख टन हो गया है। वित्त मंत्री ने शहद के बढ़े उत्पादन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शहद की उत्पादकता में भी जबर्दस्त वृद्धि हुई है। इसके निर्यात संभावनाओं को देखते हुए शहद उत्पादन पर जोर दिया गया है। पहले जहां एक बाक्स से प्रतिवर्ष 18 से 20 किग्रा शहद मिलती थी, वहीं अब यह उत्पादन बढ़कर प्रति बाक्स 25 किग्रा हो गई है। वर्ष 2014-15 में शहद का उत्पादन 76150 टन हुआ था। जो वर्ष 2015-15 में बढ़कर 86500 टन हो गया है। पढ़ेंः केंद्रीय बजट से मजबूत होगी ग्राम स्वराज की अवधारणा