सुमित्रा महाजन ने TMC सांसदों के स्टिंग का मामला आचार समिति के पास भेजा
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर लगे भष्टाचार के आरोपों की जांच संसद की आचार समिति को सौंप दी है। इस समिति के अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी हैं।
नई दिल्ली। चुनाव के मुहाने पर खड़े पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले ही सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के सांसदों पर तलवार लटक गई है। रिश्वत लेने के आरोपों में घिरे तृणमूल के पांच सदस्यों का मामला लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमेटी को सौंप दिया है। जबकि राज्यसभा में भी माकपा ने इसका उदाहरण देते हुए तृणमूल के राज्यसभा सदस्य की भी जांच कराने की मांग की। ध्यान रहे कि इससे पहले 2005 में रिश्वत के एक ऐसे ही मामले में ग्यारह सांसदों की सदस्यता चली गई थी।
गौरतलब है कि एक स्टिंग में तृणमूल कांग्रेस के पांच लोकसभा सदस्य और एक राज्यसभा सदस्य को एक कथित कंपनी के एजेंट से रिश्वत लेते दिखाया गया था। इसमें लोकसभा के सौगत राय, सुखेंदु अधीर, सुल्तान अहमद, काकोली दस्तीकार, प्रसून बनर्जी और राज्यसभा से मुकुल राय को दिखाया गया है। लोकसभा में मंगलवार को भी भाजपा, माकपा और कांग्रेस के सदस्यों ने इस मुद्दे की जांच की मांग की थी। ध्यान रहे कि पश्चिम बंगाल चुनाव में ये तीनों ही दल तृणमूल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। जाहिर है कि आवाज उठाने वाले नेताओं की राजनीतिक मजबूरी भी है कि वह इसे गर्म रखें।
बहरहाल, राजनीति से परे भी संसद की गरिमा के लिए यह बड़ा मुद्दा बन गया है। बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसी आधार पर मामले को एथिक्स कमिटि को सौंप दिया है। उन्होंने कहा- 'गंभीर मामले सामने आए हैं जिससे संसद और सांसदों की गरिमा और विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है। लिहाजा मैं अपने विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए इसकी जांच और उसके बाद रिपोर्ट के लिए एथिक्स कमिटि को सौंपती हूं।' उस दौरान तृणमूल सदस्यों समेत पूरा सदन चुप्पी के साथ महाजन के निर्देश को सुनता रहा। हालांकि बाद में सौगत राय ने यह जरूर कहा कि तृणमूल से भी विचार किया जा सकता था। ध्यान रहे कि अगर कमिटि की रिपोर्ट स्टिंग को सही ठहराती है तो फिर तृणमूल और उसके सांसदों के लिए बड़ी असहज स्थिति होगी।
दूसरी तरफ राज्यसभा में तृणमूल थोड़ा आक्रामक होने की कोशिश में दिखा। माकपा नेता सीताराम येचुरी समेत कुछ अन्य वाम नेता जहां इसकी जांच के लिए अड़े थे। येचुरी का कहना था कि राज्यसभा के एक और सदस्य विजय माल्या के खिलाफ जांच का निर्देश दिया गया है तो फिर इस मामले में कोई शिथिलता दिखाई जा रही है। उन्होंने इसका ठीकरा भी सरकार के सिर फोड़ा और कहा कि तृणमूल और भाजपा साठगांठ से चल रही है।
वहीं डेरेक ने भी नोटिस देकर स्टिंग और रिश्वत देने वाली कंपनी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह कंपनी विदेशी फंड से चलती है। स्टिंग की विश्वसनीयता के साथ साथ कंपनी भी जांच होनी चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि इसके पीछे कौन है। हालांकि राज्यसभा में अभी तक जांच की बात नहीं मानी गई है।