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लंबे इंतजार के बाद लोक ने हासिल किया लोकपाल

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लगभग आधी सदी के इंतजार के बाद आखिरकार देश को लोकपाल मिल गया है। लोकसभा से पारित होने के बाद लोकपाल विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मुहर लगते ही लोकपाल का करीब साढ़े चार दशक पुराना सपना साकार हो जाएगा।

By Edited By: Updated: Wed, 18 Dec 2013 09:27 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लगभग आधी सदी के इंतजार के बाद आखिरकार देश को लोकपाल मिल गया है। लोकसभा से पारित होने के बाद लोकपाल विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मुहर लगते ही लोकपाल का करीब साढ़े चार दशक पुराना सपना साकार हो जाएगा।

लोकपाल पारित कराने का श्रेय लेने के लिए विभिन्न पार्टियों में मची होड़ के बीच विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि भाजपा ने पूर्व में पेश किए गए कमजोर विधेयक का विरोध किया था, लेकिन अब मजबूत विधेयक का पार्टी ने समर्थन किया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अकेले लोकपाल को भ्रष्टाचार रोकने में नाकाफी बताते हुए संसद का सत्र बढ़ाकर भ्रष्टाचार निरोधक छह विधेयक पारित कराने की मांग की। रालेगण सिद्धि में नौवें दिन अनशन तोड़ते हुए अन्ना हजारे ने सभी पार्टियों को धन्यवाद दिया।

पहली बार 9 मई, 1968 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकपाल व लोकयुक्त विधेयक पेश किया था, जो लोकसभा से पारित हो गया था। हालांकि, राज्यसभा में पेश किए जाने से पहले ही संसद भंग हो गई थी। मंगलवार को पृथक तेलंगाना समर्थक और विरोधी सांसदों के हंगामे के बीच सपा व शिवसेना को छोड़कर सभी दलों ने राज्यसभा द्वारा पारित संशोधनों के साथ लोकपाल का स्वागत किया।

सुषमा स्वराज ने दो साल पहले पेश किए गए कमजोर लोकपाल विधेयक को ठीक करने के लिए राज्यसभा की प्रवर समिति को धन्यवाद दिया। उनके अनुसार प्रवर समिति ने लोकसभा से पारित कमजोर लोकपाल की कमियों को पूरी तरह दुरुस्त कर दिया है। दो साल पहले शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में भाजपा के विरोध के बावजूद सरकार लोकपाल विधेयक पास कराने में सफल रही थी, लेकिन राज्यसभा में संख्या बल में कमी के कारण वह सफल नहीं हो सकी और विधेयक प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। सुषमा ने एक साल पहले ही प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद भी विधेयक को पेश नहीं करने के लिए सरकार को आडे़ हाथ लिया।

राज्यसभा की तरह लोकसभा में भी अकेली सपा विधेयक के खिलाफ मुखर रही। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने लोकपाल को देश का काला अध्याय बताते हुए कहा कि इसके बनने से देश का विकास रुक जाएगा। कोई भी अधिकारी फाइल पर दस्तखत करने से डरेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया। पहले तो मुलायम ने वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से विधेयक वापस लेकर नए सिरे से सोच-विचार की अपील की।

अपील अनसुनी होते देख वह भाजपा पर सरकार का पिछलग्गू होने का आरोप लगाते हुए अन्य पार्टी सदस्यों के साथ वाकआउट कर गए। सपा के साथ शिवसेना सदस्य भी सदन से बाहर चले गए।

लोकपाल पर सबसे हैरानी वाला रुख जदयू नेता शरद यादव का रहा। शरद यादव ने लोकपाल का समर्थन तो किया, लेकिन उस पर जमकर बरसे भी। शरद यादव ने लोकपाल को विकास विरोधी बताते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार नहीं मिटेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री की जवाबदेही संसद से हटकर लोकपाल के प्रति हो जाएगी। भारी हंगामे के बीच लोकपाल विधेयक पारित करने के बाद मीरा कुमार ने शीतकालीन सत्र को दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

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