दो हफ्ते में आकार ले लेगा तीसरा विकल्प
तीसरे मोर्चे के प्रयोग की दो बार की नाकामी के बावजूद माकपा प्रमुख प्रकाश करात इस संभावना पर पूरी तरह उत्साहित हैं। उनका दावा है कि देश के अधिकांश मतदाता भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ हैं। इस जगह को तीसरे विकल्प से भरना संभव है। पेश हैं 'दैनिक जागरण' के विशेष संवाददाता मुकेश केजरीवाल से बातचीत के अंश.. राष्ट्रीय रा
By Edited By: Updated: Fri, 07 Feb 2014 10:52 AM (IST)
नई दिल्ली। तीसरे मोर्चे के प्रयोग की दो बार की नाकामी के बावजूद माकपा प्रमुख प्रकाश करात इस संभावना पर पूरी तरह उत्साहित हैं। उनका दावा है कि देश के अधिकांश मतदाता भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ हैं। इस जगह को तीसरे विकल्प से भरना संभव है। पेश हैं 'दैनिक जागरण' के विशेष संवाददाता मुकेश केजरीवाल से बातचीत के अंश..
राष्ट्रीय राजनीति में दो प्रमुख गठबंधन हैं। क्या आने वाले चुनाव में तीसरा विकल्प मिल सकेगा? पिछले चुनाव में संप्रग और राजग को मिलाकर भी 48 फीसद से कम वोट मिले थे। दोनों गठबंधन मिलकर भी बहुमत का प्रतिनिधित्व नहीं करते। पिछले चुनावों के मुकाबले दोनों ही इस बार बहुत कमजोर स्थिति में हैं। अगले चुनाव में हमारी कोशिश है कि इन गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा ताकतों को साझा मंच पर लाया जाए। हम अभी ऐसे गठबंधन की बात नहीं कह रहे जिसमें सीटों को लेकर तालमेल होता है, क्योंकि इनमें ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियां हैं। यह एक संघीय या फेडरल समझौता हो सकता है, जिसके सभी घटक राष्ट्रीय स्तर पर अपने संसाधनों की साझेदारी करें। यह संभव है। पढ़े: तीसरा मोर्चा देश को तीसरे दर्जे का बना देगा: मोदी
चुनाव की घोषणा में महीने से भी कम समय है। क्या आप लेट नहीं हैं? हम इस पर बातचीत कर रहे हैं कि इसे औपचारिक मोर्चे के रूप में पेश किया जाए, साझा प्रचार की तैयारी करें या फिर एक साझा लक्ष्य पेश करें। हम अगले दो हफ्ते में यह तय करने जा रहे हैं। क्या गारंटी है कि साथ आई पार्टियां चुनाव बाद अलग नहीं हो लेंगी? यह समस्या खड़ी नहीं होगी। सभी पार्टियों को कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ लड़ना है। बीजद ने वर्ष 2009 में भाजपा से नाता तोड़ा, तब से लगातार उसके खिलाफ लड़ रही है। जदयू भी उसी रास्ते पर है। इनका भाजपा के साथ जाने का सवाल ही नहीं। मुलायम सिंह ने कभी भाजपा से समझौता नहीं किया। शरद यादव कल तक राजग के संयोजक थे, अब अचानक आपके साथ हैं। मुलायम सिंह अब भी संप्रग सरकार को समर्थन दे रहे हैं। इतने विरोधाभास? शरद यादव अपने अनुभवों के आधार पर भाजपा से अलग हो गए। हमने उनका स्वागत किया है। मुलायम सिंह ने सरकार को बाहर से समर्थन दिया है। यह उनकी राजनीतिक मजबूरी है, लेकिन उन्होंने घोषित किया है कि वह कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। आप मोदी को सांप्रदायिक बताते हैं, लेकिन अखिलेश राज के दंगों पर चुप्पी साधे रहते हैं? दंगों को रोकने में नाकाम रहना और दंगे कराना अलग बातें हैं। मुजफ्फरनगर में दंगों की जो जमीन तैयार की गई, उसके लिए सपा सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते। उनकी कुछ नाकामी रही है। दंगों को रोकने, दखल देने और इन ताकतों को काबू करने में प्रशासनिक असफलता रही है। अखिलेश सरकार नाकाम रही ना.. उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा के समय वहां की सरकार और प्रशासन की भूमिका के बारे में आलोचना हो सकती है। सपा सरकार बनने के बाद कई दंगे हुए हैं, लेकिन यह संघ परिवार करा रहा है। लेकिन सरकारी नाकामी की तो आप आलोचना भी नहीं कर रहे.. आलोचना करेंगे। मगर यह आलोचना नहीं हो सकती कि वे दंगे करा रहे हैं। क्या आपने सरकार की निंदा की? दंगों के बारे में हमने जो बयान दिया, उसमें हमने उनकी कमजोरियों की सारी बातें कही हैं। मोदी ने कहा तीसरा मोर्चा देश को तीसरे दर्जे का बना देगा? हम तीसरी ताकत के दलों को इकट्ठा कर रहे हैं, उससे नरेंद्र मोदी बौखला गए हैं। अब तक वह सोच रहे थे कि लड़ाई को आसानी से राहुल गांधी बनाम मोदी बना देंगे, लेकिन अब यह नहीं हो सकेगा। यह इसी की प्रतिक्रिया है।मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर