जम्मू, नवीन नवाज। संसदीय चुनावों में जहां देश के अन्य, भागो में आम आदमी पार्टी, क्षेत्रीय दल या निर्दलीय उम्मीदवार सियासी मैदान के बडे़ बडे़ धुरंधरों के लिए मुश्किल पैदा करते हुए चुनौती बने हुए हैं, वहीं कश्मीर संभाग में नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच सीधी टक्कर होने जा रही है। उधर, जम्मू में भाजपा और कांग्रेस
By Edited By: Updated: Sat, 29 Mar 2014 04:59 PM (IST)
जम्मू, नवीन नवाज। संसदीय चुनावों में जहां देश के अन्य, भागो में आम आदमी पार्टी, क्षेत्रीय दल या निर्दलीय उम्मीदवार सियासी मैदान के बडे़ बडे़ धुरंधरों के लिए मुश्किल पैदा करते हुए चुनौती बने हुए हैं, वहीं कश्मीर संभाग में नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच सीधी टक्कर होने जा रही है। उधर, जम्मू में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला है। अन्य दल या प्रत्याशी सिर्फ वोट काटने और मामले को रोचक बनाने की स्थिति तक ही सीमित हैं।
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रियासत की सियासत में चढ़ रहा बुखार पिछले कुछ महीनों के दौरान रियासत के सियासी मंच पर कई नए चेहरे और संगठन उभरे हैं,लेकिन अबतक कोई जनता में अपनी पैठ बनाता हुआ नजर नहीं आ रहा है। उनका प्रभाव कुछेक इलाकों या वगरें तक ही सीमित है। अन्य प्रदेशों में ऐसा नहीं है क्योंकि नए खिलाड़ी भी मजबूती से अपना दावा पेश कर रहे हैं। इसमें आप का उदाहरण लिया जा सकता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में लोगों को अपने साथ जोड़ने वाली यह जमात यहां कोई प्रभाव नहीं दिखा पा रही है। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि कश्मीर में मुकाबला सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के बीच ही है जबकि जम्मू संभाग की दोनों सीटों पर बेशक त्रिकोणीय संघर्ष का संकेत है, लेकिन लड़ाई कांग्रेस व भाजपा के बीच ही सिमटती नजर आती है। अलबत्ता जम्मू के पुंछ संसदीय सीट पर पीडीपी पूरी तरह से बराबर की टक्कर में है और उसकी जीत की संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता।
कश्मीर संभाग में सेंट्रल कश्मीर के संसदीय लोकसभा क्षेत्र में नेशनल कांफ्रेंस के चेयरमैन और केंद्रीय नव अक्षय उर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व वित्तमंत्री तारिक हमीद करा के बीच सीधी टक्कर है। हालांकि इस सीट पर आप के उम्मीदवार डा राजा मुजफ्फर के अलावा अवामी इत्तेहाद पार्टी के राशिद राहिल भी हैं। उत्तरी कश्मीर में बारामुला संसदीय सीट पर नेशनल कांफ्रेंस के शरीफुद्दीन शारिक और पीडीपी के नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग के बीच ही सीधा मुकाबला होने की उम्मीद है। इस सीट से अवामी इत्तेहाद पार्टी की तरफ से विधायक इंजीनियर रशीद चुनाव लड़ने जा रहे हैं जबकि पीपुल्स कांफ्रेंस की तरफ से पूर्व नौकरशाह बजाड मैदान में हैं। अगर बजाड के बजाय सज्जाद गनी लोन खुद मैदान में रहते तो कहा जा सकता था कि मामला त्रिकोणीय होगा,लेकिन अब ऐसा नहीं है। इंजीनियर रशीद का भी प्रभाव उत्तरी कश्मीर के लोलाब, हंदवाड़ा, रफयाबाद तक ही सीमित है। दक्षिण कश्मीर में मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के डा. महबूब बेग और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती के बीच ही सिमटा हुआ है। हालांकि वहां भी कई अन्य उम्मीदवार मैदान में उतरने की सोच रहे हैं,लेकिन वह अनंतनाग सीट पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषक नूर अहमद बाबा के अनुसार, कश्मीर की तीनों सीटों पर मुकाबला पूरी तरह से नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के बीच ही है। बेशक कांग्रेस का नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन हैं, लेकिन उसका कश्मीर में कोई खास जनाधार नहीं है। इसलिए इससे नेशनल कांफ्रेंस को कोई ज्यादा लाभ नहीं होने वाला है। नेशनल कांफ्रेंस का शुरू से ही अपना एक परंपरागत वोटर रहा है जो किसी भी स्थिति में मतदान के लिए आता है जबकि अन्य दलों के साथ ऐसा नहीं है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान पीडीपी ने भी अपना एक मजबूत कैडर तैयार किया है जो वोट डालने जरूर निकलता है।