आदर्श जैसी कई इमारतें खड़ी हैं केंद्र के भूखंडों पर
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। रक्षा विभाग के दावे वाले भूखंड पर बनी आदर्श सोसायटी की एक इमारत राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को आरोपों के घेरे में खड़ा कर चुकी है। वहीं ठाणे स्थित केंद्र सरकार के भूखंडों पर आदर्श जैसी करीब एक दर्जन आसमान चूमती इमारतें खड़ी हो चुकी हैं। केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले इन भूखंडों पर विकास के ि
By Edited By: Updated: Sat, 21 Dec 2013 08:15 PM (IST)
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। रक्षा विभाग के दावे वाले भूखंड पर बनी आदर्श सोसायटी की एक इमारत राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को आरोपों के घेरे में खड़ा कर चुकी है। वहीं ठाणे स्थित केंद्र सरकार के भूखंडों पर आदर्श जैसी करीब एक दर्जन आसमान चूमती इमारतें खड़ी हो चुकी हैं।
केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले इन भूखंडों पर विकास के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मध्य प्रदेश सरकार के वित्त विभाग एवं उसके अधीन काम कर रही कंपनी प्रॉविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लि.(पीआइसीएल) ने जारी किए हैं। दैनिक जागरण को आरटीआइ से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2001 से 2009 के बीच कुल 13 भूखंड लंबी अवधि के लिए किराये पर दिए गए। वित्त विभाग एवं पीआइसीएल द्वारा इन भूखंडों पर विकास हेतु एनओसी जारी करने के लिए केंद्र सरकार से किसी प्रकार की अनुमति लिए जाने का कोई प्रमाण नहीं मिलता। लंबी अवधि के लिए किराये पर दिए गए भूखंड कुछ सौ वर्ग मीटर से लेकर 25 एकड़ तक हैं। पढ़ें: आदर्श घोटाला : महाराष्ट्र सरकार ने जांच रिपोर्ट खारिज की पीआइसीएल मानती है कि इनमें से चार भूखंडों का उपयोग भवन निर्माण जैसी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया गया है। इसके एवज में पीआइसीएल को प्रतिमाह कुछ हजार रुपये ही किराये के रूप में प्राप्त होते हैं, लेकिन उसे मिल रहे इस राजस्व का कितना भाग केंद्र सरकार को प्राप्त हो रहा है यह जानकारी पीआइसीएल नहीं दे रही है क्योंकि यह मामला बांबे उच्च न्यायालय में लंबित है।
गौरतलब है कि भूखंडों पर विकास के लिए आठ वर्षो में दिए गए 13 अनापत्ति प्रमाणपत्रों में से सात सीधे मध्य प्रदेश सरकार के वित्त विभाग से जारी किए गए है, लेकिन इसे जारी करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति के बारे में सूचना के अधिकार के तहत वित्त विभाग अभी तक कोई उत्तर नहीं दे पाया है। दूसरे ओर राज्य वित्त मंत्रालय के लंबे समय तक प्रभारी रहे पूर्व मंत्री राघवजी सावला का कहना है कि केंद्र ने पीआइसीएल को अपनी सभी संपत्तियों की देखरेख के अधिकार दे रखे हैं। ये अधिकार मिलने के बाद भूखंडों को लंबी अवधि के लिए किराये पर देते समय केंद्र से किसी प्रकार की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। उनका यह भी कहना है कि लंबी अवधि की लीज पर देने से पहले सभी भूखंडों का बाजार मूल्य पर मूल्यांकन भी करवाया जा चुका है। मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर