कालेधन पर काफी संख्या में लोग दे रहे एसआईटी को सुझाव
काले धन पर जनता अब भाषण सुनने के मूड में बिल्कुल नहीं है
By Sudhir JhaEdited By: Updated: Sat, 01 Nov 2014 08:23 PM (IST)
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। काले धन पर जनता अब भाषण सुनने के मूड में बिल्कुल नहीं है। वह निर्णायक फैसला चाहती है। आम आदमी काला धन रखने वालों को सख्त से सख्त सजा देने के पक्ष में है। लोग यह भी चाहते हैं कि राजनीतिक दलों और काले धन के कारोबारियों के बीच के रिश्ते को पूरी तरह से खत्म किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से काले धन पर विशेष जांच दल (एसआइटी) के गठन के बाद आम जनता को लगने लगा है कि अब पुख्ता और ठोस कार्रवाई हो सकती है। शायद यही वजह है कि बड़ी संख्या में लोगों ने एसआइटी को अपने सुझाव भेजने शुरू कर दिए हैं। जानकारों के मुताबिक एसआइटी को एक से बढ़कर एक सुझाव आ रहे हैं। वैसे इन जानकारियों के आधार पर कार्रवाई होगी या नहीं यह तो साफ नहीं है, लेकिन एसआइटी को आम जनता का मूड जानने में मदद जरूर मिल रही है। बड़ी संख्या में लोग मानते हैं कि काले धन को बढ़ावा देने में राजनेताओं की भूमिका अहम रही है। कुछ लोगों का सुझाव है कि देश की मौजूदा चुनाव प्रक्रिया काले धन को बढ़ावा देने वाली है। कई लोगों ने यह राय दी है कि राजनीतिक दलों को चंदा देने की परंपरा ही बंद होनी चाहिए, क्योंकि इसीसे गलत लोगों और राजनेताओं का संपर्क बनता है। चुनाव सरकारी खर्चे से होनी चाहिए। कुछ लोगों का सुझाव है कि नेताओं की सालाना आय की निगरानी के लिए अलग प्रकोष्ठ गठित होनी चाहिए।
कुछ नेताओं के नाम भी बताए
एक व्यक्ति ने एसआइटी को कई पन्नों का सुझाव भेजा है। इसमें नेताओं की कमाई पर निगरानी रखने के साथ ही अपने इलाके के कुछ राजनेताओं के नाम भी हैं और उनकी कमाई के ब्योरे भी। हालांकि इन सूचनाओं के आधार पर फिलहाल कोई कार्रवाई किये जाने की संभावना नहीं है। कार्यदल का काम सिर्फ सुझाव देने तक सीमित है। लाइसेंस देने की प्रक्रिया बदलें
--कुछ लोगों का सुझाव है कि केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से दिए जाने वाले लाइसेंसों की प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल देना चाहिए। --सरकार व सिविल सोसायटी के सदस्यों की एक समिति गठित होनी चाहिए, जो लाइसेंस देने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने पर सलाह दे। --स्टांप शुल्क की दरों को तर्कसंगत बनाना चाहिए, क्योंकि इससे रीयल एस्टेट में काला धन उपजता है। --रीयल एस्टेट में काले धन पर रोक लगाने के लिए भी कई तरह के सुझाव आये हैं। पढ़ेंः खुली अदालतों में बताए जा सकते हैं खाताधारकों के नाम पढ़ेंः काले कुबेरों में डाबर के बर्मन भी