केरल में मिलने लगे 'लव जिहाद' के शुरूआती सबूत
एनआइए को मिल रही जानकारी के अनुसार केवल पिछले एक महीने में लगभग 100 हिंदू लड़कियों के धर्मातरण का मामला सामने आ रहा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केरल में 'लव जिहाद' की सच्चाई से पर्दा उठने में अभी समय लग सकता है, लेकिन एनआइए को मिले शुरूआती संकेत इसकी पुष्टि कर रहे हैं। फिलहाल चर्चा केवल चार मामलों की भले हो रही है, लेकिन धर्म परिवर्तन कराकर निकाह कराने वाली हिंदू लड़कियों की संख्या सैंकड़ों में हो सकती है। इनमें केरल की मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन पीएफआइ की संलिप्तता से एनआइए सतर्क हो गई है।
एनआइए को मिल रही जानकारी के अनुसार केवल पिछले एक महीने में लगभग 100 हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण का मामला सामने आ रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल इन सभी मामलों की पुष्टि की जा रही है। उनके अनुसार जिन लड़कियों का धर्मांतरण कर विवाह कराया गया है, वे सभी गरीब परिवारों से हैं। इसीलिए इसकी जानकारी बाहर नहीं आ पाती है या फिर माता-पिता को डरा-धमकाकर चुप करा दिया जाता है। अब ऐसे सभी मामलों का पता लगाया जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार उसकी जांच की जाएगी।
हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण के पीछे बड़ी साजिश की आशंका को इस बात से बल मिलता है कि अखिला अशोकन के हादिया बनने के पीछे साइनाबा नाम की महिला का हाथ है। साइनाबा के पीएफआइ, एसडीपीआइ और मार्काजुल हिदाया जैसे मुस्लिम संगठनों से रिश्ते हैं। अन्य हिंदू लड़कियों के धर्मातरण के पीछे भी साइनाबा के हाथ होने की पुष्टि हुई है। यही नहीं, साइनाबा ने दावा किया था कि अखिला ने मैट्रीमोनियल साइट पर मुस्लिम लड़के शफीन जहान को खोजा था। लेकिन बाद में साफ हुआ कि शादी के पहले अखिला ने मैट्रीमोनियल साइट पर लॉगइन ही नहीं किया था। अथीरा नांबियार के धर्मातरण के मामले में भी साइनाबा का हाथ सामने आया है। इस मामले में गिरफ्तार मोहम्मद कुट्टी (पीएफआई-एसडीपीआई सदस्य) ने पूछताछ में माना कि हादिया और अथीरा को उसके मां-बाप से दूर रखने के लिए अलग-अलग जगह पर रखा गया।
अखिला के पिता के शोर मचाने और उसे वापस हासिल करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के अखिला के झूठे पत्र भेजकर भ्रम फैलाने की भी कोशिश की गई। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2016 में धर्म परिवर्तन के बाद अखिला ने चार अलग-अलग पत्र अपने पिता और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को लिखे थे। इसमें अखिला ने लिखा था कि उसने स्वेच्छा से इस्लाम कबूल किया है। दिलचस्प बात यह है कि इन सभी पत्रों में उसके नाम का उच्चारण अलग-अलग लिखा गया था। इससे साफ होता है कि ये पत्र अखिला ने नहीं लिखे थे। एनआइए को संदेह है कि इनपत्रों पर जबरन उसका हस्ताक्षर कराया गया होगा।
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