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सूबे की सियासी हालात पर नजीब जंग खामोश

सूबे की सियासी हालात पर उपराज्यपाल नजीब जंग चुप हैं। दिल्ली में सरकार बनाने के सवाल पर वे कुछ भी नहीं बोलना चाहते। लेकिन आगामी

By Edited By: Updated: Tue, 26 Aug 2014 08:32 AM (IST)
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नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। सूबे की सियासी हालात पर उपराज्यपाल नजीब जंग चुप हैं। दिल्ली में सरकार बनाने के सवाल पर वे कुछ भी नहीं बोलना चाहते। लेकिन आगामी 9 सितंबर को केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना है और समझा जा रहा है कि उससे पहले जंग को अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजनी होगी।

शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने पिछले दिनों दिल्ली सचिवालय पहुंचे जंग ने दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर पूछे जाने पर कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। उनके इन्कार के पीछे उनकी राजनीतिक विवशता की झलक भी मिल रही थी। उन्होंने राजधानी में शासन-प्रशासन पर खुलकर बात की लेकिन सियासत पर चुप्पी साध ली। लेकिन समझा जा रहा है कि वह दिल्ली को लेकर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को जरूर भेज देंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में सरकार को दिल्ली में सरकार बनाए जाने को लेकर अपना पक्ष रखना है और राजधानी में उपराज्यपाल केंद्र सरकार के ही प्रतिनिधि हैं।

आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा को निलंबित स्थिति में रखे जाने के मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत की एक संवैधानिक खंडपीठ ने सरकार से दिल्ली की राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति का समाधान पेश करने को कहा था। आम आदमी पार्टी जंग से मिल चुकी है लेकिन उन्होंने भाजपा या कांग्रेस को अब तक राय शुमारी तक के लिए नहीं बुलाया है। अदालत पहले ही कह चुकी है कि दिल्ली के मामले में फैसला लेने के लिए उपराज्यपाल स्वतंत्र हैं और वे अपने विवेक से निर्णय ले सकते हैं।

दिल्ली में फिलहाल सरकार बनने की एक ही सूरत है कि भाजपा आम आदमी पार्टी अथवा कांग्रेस के विधायकों के समर्थन से सरकार बना ले। हालांकि, कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की जोरदार मुहिम चली भी थी लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा निर्णय लेने में देरी किए जाने के कारण यह कामयाब नहीं हो पाई। आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों को साथ लेकर सरकार बनाने की भाजपा की कोशिश भी नाकाम हो चुकी है। ऐसे में दिल्ली विधानसभा का नए सिरे से चुनाव कराए जाने की चर्चा इन दिनों तेज है।

माना जा रहा है कि अदालत में केंद्र सरकार द्वारा अपना पक्ष रखे जाने से पहले ही दिल्ली को लेकर कोई न कोई निर्णय ले लिया जाएगा।

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