298 फर्जी स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ दर्ज होगा केस
महाराष्ट्र सरकार ने बीड जिले के 298 फर्जी स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराने का फैसला किया है। ये लोग फर्जी दस्तावेज के आधार पर स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन लाभ और दूसरी सुविधाओं का लाभ उठा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए महाराष्ट्र सरकार
रविकिरण देशमुख (मिड-डे), मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने बीड जिले के 298 फर्जी स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराने का फैसला किया है। ये लोग फर्जी दस्तावेज के आधार पर स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन लाभ और दूसरी सुविधाओं का लाभ उठा रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने फर्जी स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को मिली सरकारी नौकरी, पेंशन की वसूली और इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का फैसला किया है। भाऊ साहेब परालकर और दो अन्य लोगों ने 2002 में बांबे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ में पीआइएल दाखिल कर दावा किया था कि बीड जिले के ढेरों लोग फर्जी दस्तावेज के आधार पर स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाले सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। याचिका पर सुनवाई करते हुए 2003 में पीठ ने 349 स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन और दूसरे लाभों को रोकने का निर्देश दिया। हालांकि, 2004 में अंतिम फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट की पीठ ने इन लोगों की दोबारा पेंशन शुरू करने का निर्देश दे दिया।-राज्य में स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या- 14816
2-मासिक पेंशन- 8000 हजार रुपये
3-सालाना व्यय- लगभग 80 करोड़ रुपये
4-पेंशन के अतिरिक्त राज्य सरकार प्रत्येक स्वतंत्रता सेनानी के चिकित्सा पर प्रति वर्ष दस हजार रुपये खर्च करती है।
5-राज्य परिवहन की बसों में मुफ्त यात्रा, केंद्र सरकार की सूची में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों को ट्रेन की एसी थ्री टियर में मुफ्त यात्रा की सुविधा