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बिहार विस भंग करने की कोई मंशा नहीं: मांझी

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि उनकी यह मंशा कतई नहीं है कि बिहार विधानसभा भंग कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। कहा कि वे दिल्ली में भाजपा नेताओं से मुलाकात करने नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के मंत्रियों से मिलने आए हैं। मांझी ने 20 फरवरी को

By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Mon, 16 Feb 2015 11:22 AM (IST)

पटना, जागरण ब्यूरो। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि उनकी यह मंशा कतई नहीं है कि बिहार विधानसभा भंग कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। कहा कि वे दिल्ली में भाजपा नेताओं से मुलाकात करने नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के मंत्रियों से मिलने आए हैं। मांझी ने 20 फरवरी को बिहार विधानसभा के सभी सदस्यों से अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की अपील की है।

दिल्ली प्रवास के दौरान जीतन राम मांझी ने सोमवार को कहा कि मेरा उद्देश्य बिहार विधानसभा को भंग करना नहीं है। मैं इस तरह की कोई अनुशंसा करने नहीं जा रहा। मैं दिल्ली प्रवास के दौरान केंद्र सरकार के मंत्रियों से मिलने आया हूं और 20 फरवरी को विधानसभा में बहुमत साबित कर दूंगा।

मौजूदा हालात के लिए भाजपा जिम्मेदार: नीतीश

पटना। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि मौजूदा अनिश्चयकारी राजनीतिक माहौल के लिए भाजपा और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जिम्मेदार है। सब कुछ भाजपा की सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है। भाजपा नेता कल तक मांझी सरकार को कोस रहे थे। बिहार में जंगलराज का आरोप लगा रहे थे। अचानक अब मांझी सरकार के गुप्त समर्थक हो गए हैं। 20 फरवरी को सदन की बैठक में जदयू विधायकों के विपक्ष में बैठने का पार्टी का फैसला स्वाभाविक और सही है।

गृहमंत्री व राज्यपाल से मिले मांझी

बिहार विधानसभा में 20 फरवरी को विश्वास मत का सामना करने से पहले रविवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने दिल्ली में गृहमंत्री व प्रदेश के राज्यपाल से मुलाकात की। हालांकि राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी से उनकी मुलाकात को शिष्टाचारवश, जबकि गृहमंत्री राजनाथ सिंह से नक्सल समस्या पर चर्चा की बाबत कहा जा रहा है। लेकिन राजनीतिक गलियारे में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।

मांझी के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने विश्वास मत से पहले कैबिनेट विस्तार की बात राज्यपाल के सामने रखी, लेकिन उनकी ओर से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है। मांझी समर्थक विधानसभा में उनके पक्ष में वोट डालने के लिए भाजपा को साधने की कोशिश में हैं। लेकिन पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपना आखिरी पत्ता विधानसभा के अंदर ही खोलेगी। 233 विधायकों वाली विधानसभा में भाजपा के पास 87 विधायक हैं, जो मांझी को बहुमत के पास पहुंचाने के लिए बहुत जरूरी हैं।

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