Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

मैं भगवान मानती रही..वो राक्षस निकले

'मैं तो उन्हें भगवान मानकर पूजा करती रही। उनकी सेवा में तन-मन-धन अर्पण कर दिया। हर साल उनका अवतरण दिवस, साक्षात्कार दिवस भी मनाया लेकिन उनकी नियत हमारी मासूम बेटी पर ही खराब हो गई..। न जाने उन्होंने ऐसा क्यों किया?' पीड़ित छात्रा की मां ने रविवार को 'जागरण' से बातचीत में कहा-मैंने

By Edited By: Updated: Mon, 02 Sep 2013 03:59 AM (IST)
Hero Image

शाहजहांपुर [जागरण संवाददाता]। 'मैं तो उन्हें भगवान मानकर पूजा करती रही। उनकी सेवा में तन-मन-धन अर्पण कर दिया। हर साल उनका अवतरण दिवस, साक्षात्कार दिवस भी मनाया लेकिन उनकी नियत हमारी मासूम बेटी पर ही खराब हो गई..। न जाने उन्होंने ऐसा क्यों किया?'

पीड़ित छात्रा की मां ने रविवार को 'जागरण' से बातचीत में कहा-मैंने तो गुरु के बारे में ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था। जब बेटी ने सच सामने रखा तो पैरों तले जमीं खिसक गई। पता चला कि बापू कई और लड़कियों के साथ भी ऐसा कर चुके थे। इसके बाद ही हमने उन्हें सबक सिखाने की ठान ली। जब एफआइआर दर्ज कराई तो यह भरोसा नहीं था कि मीडिया और देश की जनता का इतना समर्थन मिलेगा। आसाराम की गिरफ्तारी की खबर से बेहद खुशी हुई।

सच..मन का बोझ हल्का हो गया। 15 दिन बाद जीभर के खाना भी खाया। बेटी, बेटा और वो [पति] भी खुश हैं।

पढ़ें: आसाराम की होगी पुरुषत्व की जांच

वे यहीं नहीं रुकीं। बोलीं, कुटिया सेवा के नाम पर आसाराम मनपसंद बच्चियों को छांटकर अपने पास बुलाते थे। दुष्कर्म के बाद उनका मुंह बंद कर दिया जाता था। जो लड़कियां विरोध करती थीं उनका या तो नाम काट दिया जाता था, या फिर उन्हें प्रताड़ित कर चुप करा देते थे। इस तरह की अनेक घटनाएं हुईं, जिन्हें जहां का तहां दबा दिया गया। पुलिस तहकीकात में इन घटनाओं का पता भी लगा सकती है।

पढ़ें: पिछले गेट से पीड़िता को कमरे में ले गए थे बापू

कहा कि मेरी बेटी पूरी तरह स्वस्थ है। बापू ने ही उसे भूत प्रेत से ग्रसित बताते हुए अनुष्ठान के लिए बुलाया था। दुष्कर्म जैसा बुरा बर्ताव किया लेकिन बेटी ने साथी लड़कियों के साथ भी इस तरह की घटनाओं को सुनने के बाद सबक सिखाने की ठान ली। निडर होकर उसने हमारे सामने कड़ा सच बयां किया।

पीड़ित छात्रा की मां ने आरोप लगाया कि आसाराम बापू मेरी बेटी को मजबूत इरादों वाली बताते थे। कहते थे कि उसको कोई डिगा नहीं सकता। 'अनपढ़ जाट पढ़ा जैसा, पढ़ा जाट खुदा जैसा..' वाक्य बोलकर उनकी बेटी और उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करते थे। इससे लगता है कि बापू की नियत पहले से खराब थी।

उन्होंने कहा कि वह दिन में तीन बार आसाराम बापू की पूजा करती थीं। खाना खाने से पहले उनका भोग लगाती थीं। घर में उनके लिए कमरा बनवा दिया। 2011 में बापू और सुरेशानंद सत्संग को आए तो हमारे घर में ही रुके। इससे पूर्व उनके बेटे नरायण साई ने हमारे घर में ही प्रवास किया था। साधक भी रुकते और भोजन करते थे। सच बड़ा विश्वास था गुरु भगवान पर..लेकिन उन्होंने बेटी पर हाथ डालने के साथ ही विश्वास और गुरुभक्ति का भी खून कर दिया।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर