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सीआरपीएफ के हटने पर फिर सक्रिय हो सकते हैं नक्सली

मोतिहारी [सुदिष्ट नारायण व सुशील वर्मा]। नक्सलियों के आतंक से दो साल पूर्व तक कराहते पूर्वी चंपारण को सीआरपीएफ की तैनाती से काफी राहत मिली थी। अब जब सीआरपीएफ कैंप को जिले के हटाए जाने का मामला सामने आया है तो भय का वातावरण एक बार फिर बनने लगा है। पिछले दस सालों से जिले की नक्सली वारदातों पर नियंत्रण पिछले दस सालों

By Edited By: Updated: Mon, 08 Apr 2013 10:15 PM (IST)
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मोतिहारी [सुदिष्ट नारायण व सुशील वर्मा]। नक्सलियों के आतंक से दो साल पूर्व तक कराहते पूर्वी चंपारण को सीआरपीएफ की तैनाती से काफी राहत मिली थी। अब जब सीआरपीएफ कैंप को जिले के हटाए जाने का मामला सामने आया है तो भय का वातावरण एक बार फिर बनने लगा है। पिछले दस सालों से जिले की नक्सली वारदातों पर नियंत्रण पिछले दस सालों में अंकुश लगाने में कामयाब रही सीआरपीएफ को हटाने को लेकर चल रहे सियासी दांव-पेंच ने लोगों को एक बार फिर सोचने को मजबूर कर दिया है।

सीआरपीएफ को जिले से हटाए जाने के फरमान के बाद चंपारण में एक बार फिर आंदोलन खड़ा हो गया है। असुरक्षा की भावना से ग्रसित लोगों ने राजमार्ग व रेल के अलावा अन्य स्थलों पर प्रदर्शन कर अपना विरोध जताना शुरू कर दिया है। वहीं चंपारण विकास संघर्ष मोर्चा ने इस आंदोलन सड़क से संसद तक ले जाने की घोषणा की है।

आदापुर में हुई थी संगठन की स्थापना:

नक्सलवाद की नींव पूर्वी चंपारण जिले में दो दशक पूर्व गंभीरा साह ने डाली थी। बाद में नक्सली नेता गंभीरा साह की हत्या हो गई। इसके बाद वे पूरी तरह पनप पाते उन्हें तत्कालीन नेता सह बिहार सरकार के मंत्री रहे वृज बिहारी प्रसाद ने कठोरता से कुचल दिया था। पटना में हुई हत्या व नेपाल में माओवादियों के संगठन को मिलती मजबूती ने इसका विस्तार एक बार फिर जिले में कर दिया। इसके बाद नक्सली गोपनीय रूप से अपनी जड़े पकड़ीदयाल प्रखंड के तरियानी व मोतिहारी के पकड़ीदयाल स्थित सिसहनी में जमाते रहे। उनके संगठन का विस्तार मधुबन, तेतरिया, मेहसी, फेनहारा, पताही, ढाका, चिरैया, घोड़ासहन, छौड़ादानों, रक्सौल से लेकर बाद में चकिया, मेहसी, केसरिया व कल्याणपुर प्रखंडों तक फैल गया। इसके बाद नक्सलियों की हिंसक वारदातें शुरू हुई।

नक्सली वारदात एक नजर में :

- नक्सली जिन्हें बाद में लोग एमसीसी के नाम से जानने लगे ने 27 अप्रैल 1999 को पताही में चौकीदार-दफादार संघ के नेता सह किसान जमादार सिंह की हत्या कर सनसनी फैला दी।

-30 अप्रैल 2000 को पताही के महमदी निवासी रामकुमार झा की नक्सलियों ने गला रेत हत्या की और उनके घर को बम से उड़ा डाला।

-3 मई 2001 को पकड़ीदयाल से सिसहनी निवासी सह मुखिया बिजली सिंह व उनके एक समर्थक को नक्सलियों ने एसएलआर से भून डाला।

-पकड़ीदयाल से सिरहा कोठी निवासी भोला सिंह के पुत्र राजेश सिंह की 10 अप्रैल 2002 को गला रेत हत्या कर दी।

-27 दिसंबर 2002 को एमसीसी ने लेवी नहीं देने पर फेनहारा के राजपुर कौल निवासी गोरख राय की चिमनी को उड़ा दिया।

-10 अप्रैल 2003 की रात महमदी निवासी रामपुकार झा के घर को उड़ा दिया।

-6 मई 2003 को फेनहारा मड़पा कोठी के गोरख राय की संपत्ति लूटने के बाद उनके घर को डायनामाइट से उड़ा डाला।

-17 जून 2003 को जन अदालत लगाकर हार्डकोर नक्सली भुअर पासवान को सजाए मौत की सजा सुनाई।

-19 जून 2003 को सिसहनी में जन अदालत लगाकर भाग्यनारायण पासवान, भोला राम, अजय पासवान को लाठियों से पीटे जाने की सजा सुनाई।

-14 जुलाई 2003 को गुड़हनवा स्टेशन के पास रेल पटरी को उड़ा डाला।

-25 दिसंबर 2004 को राजेपुर के मनियारपुर निवासी उपेन्द्र सिंह व महेश सिंह को गोलियों से भूल डाला।

-9 मार्च 2005 को पकड़ीदयाल के बड़कागांव में एमसीसी ने शीत बसंत नामक बस को फूंक डाला।

-30 मार्च 2005 को फूलदेव सिंह का अपहरण कर हत्या कर दी।

-4 अप्रैल 2005 को सेमराहां के मुखिया अशोक सिंह कुशवाहा की गला रेत हत्या कर दी।

-23 जून 2005 को मधुबन में एक साथ नक्सलियों ने हमला कर लाखों की संपत्ति व हथियार लूट लिए। इस दौरान स्टेट बैंक के गार्ड व सीआरपीएफ के हवलदार की हत्या कर दी।

-11 दिसंबर 2005 को मुखिया जितेन्द्र सिंह की हत्या की।

-28 दिसंबर 2005 को एमसीसी के जोनल कमांडर मैनुद्दीन उर्फ रवि की पुलिस मुठभेड़ में मौत हुई। इस घटना में आठ नक्सली को तीन हथियार व भारी मात्रा में जिंदा कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया।

-20 दिसंबर 2007 को कदमा मुठभेड़ में सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट एसके कफिल सहित दो जवान शहीद हो गए।

-11 नवंबर 2008 को सीआरपीएफ व पुलिस के संयुक्त आपरेशन में दो नक्सली राम दयालु मांझी उर्फ दयालु जी व विजय कुमार की मौत हुई।

-6 मई 2008 को मधुबनी घाट के मुखिया नंदलाल जायसवाल की हत्या नक्सलियों ने की।

-26 जनवरी 2011 को पताही के चंपापुर में पूर्व मुखिया शिवजी सिंह की हत्या

-2 फरवरी 2011 को चकिया थाना पलटुबेलवा में दो ट्रैक्टर को जलाया

-चकिया के पुरन छपरा में 9 फरवरी 11 को बीएसएनएल का टावर फूंका व तीन दुकानों में आग लगाई।

-13 मार्च 2011 को सीआरपीएफ व पुलिस को बड़ी सफलता मिली जब 6 नक्सलियों को मार गिराया व 10 को गिरफ्तार किया गया था। इस आपरेशन में भारी मात्रा में हथियार भी पुलिस ने बरामद किया था।

इसके अलावा नक्सलियों ने कई अन्य घटनाओं को अंजाम दिया। जिले में सीआरपीएफ के आने के बाद लोगों ने खुद को सुरक्षित महसूस किया। क्योंकि जहां बिहार पुलिस दिन में जाने में डरती थी वहां सीआरपीएफ ने रात में जाकर आपरेशन किया। यही कारण है कि पूरे जिले में सीआरपीएफ को हटाने के विरोध में जगह-जगह आंदोलन हो रहे हैं। इस आंदोलन में आम जनों से लेकर प्रबुद्ध नागरिक शामिल हैं। एक ओर जहां पिछड़े लोगों को इस बात का डर है कि उनके बीच के युवा सीआरपीएफ के हटने के बाद गुमराह हो सकते हैं तो दूसरी ओर सुरक्षा का भय भी लोगों को सताने लगा है।

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