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काटजू ने गांधी को बताया अंग्रेजों का एजेंट

अपने विवादास्पद बयानों के लिए लगातार चर्चा में रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू के निशाने पर इस बार कोई और नहीं, बल्कि खुद महात्मा गांधी हैं। अपने ब्लॉग 'सत्यं ब्रूयात' और फेसबुक अकाउंट पर लंबा पोस्ट लिखकर उन्होंने गांधीजी को ब्रिटिश एजेंट करार दिया है। इसके

By Test2 test2Edited By: Updated: Wed, 11 Mar 2015 03:07 AM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। अपने विवादास्पद बयानों के लिए लगातार चर्चा में रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू के निशाने पर इस बार कोई और नहीं, बल्कि खुद महात्मा गांधी हैं। अपने ब्लॉग 'सत्यं ब्रूयात' और फेसबुक अकाउंट पर लंबा पोस्ट लिखकर उन्होंने गांधीजी को ब्रिटिश एजेंट करार दिया है। इसके बाद एक और पोस्ट लिखकर उन्होंने मुगल बादशाह अकबर को देश का असल राष्ट्रपिता बताया। काटजू के मुताबिक, अकबर ने बहुत पहले जान लिया था कि भारत विविधता से भरा देश है और इसे एक रखने के लिए सभी धर्मों को समान आदर देना होगा।

प्रेस काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष काटजू ने कहा है कि गांधी ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया। बापू ने राजनीति में धर्म को घुसाकर 'बांटो और राज करो' की ब्रिटिश नीति को आगे बढ़ाया। गांधी हर भाषण में रामराज, ब्रह्मचर्य, गोरक्षा, वर्णाश्रम व्यवस्था जैसे हिंदूवादी विचारों का जिक्र करते रहे। इससे मुसलमान, मुस्लिम लीग जैसे संगठनों की ओर आकर्षित हुए।

गांधी के सत्याग्रह आंदोलन पर भी काटजू ने कटाक्ष किया और लिखा, 'क्रांतिकारी आंदोलन को सत्याग्रह की तरफ मोड़कर बापू ने ब्रिटिश हितों को ही लाभ पहुंचाया।' गांधी के आर्थिक विचारों को प्रतिक्रियावादी बताते हुए काटजू का कहना है कि वे ग्रामीण संस्थाओं को आत्मनिर्भर बनाने की वकालत करते थे। सभी जानते हैं कि ये संस्थाएं जातिवादी थीं और साहूकारों-जमींदारों के कब्जे में थीं। गांधी औद्योगीकरण के विरोधी थे और चरखा कातने जैसे प्रतिक्रियावादी बकवासों का प्रवचन देते थे।

हिंदुओं के प्रति झुकाव

काटजू ने कहा है कि महात्मा गांधी के भाषणों और उनके अखबारों- यंग इंडिया और हरिजन में छपे उनके लेखों को देखकर यही लगता है कि उनका हिंदुओं के प्रति खास झुकाव था। इसके साथ ही काटजू ने सवाल उठाया है कि दशकों तक उनके ऐसे लेखों को पढ़कर मुस्लिमों पर क्या फर्क पड़ा होगा? पूर्व न्यायाधीश ने कहा है कि गांधी ने 10 जून 1921 को यंग इंडिया में लिखा था, 'मैं सनातनी हिंदू हूं। मैं वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास करता हूं। मैं गाय को बचाना जरूरी समझता हूं।' काटजू ने आगे लिखा है कि गांधी की सभाओं में अक्सर हिंदू भजन 'रघुपति राघव राजा राम' के बोल सुनाई देते थे।

ढोंग था नोआखाली जाना

इसके अलावा काटजू ने गांधी के नोआखली जाने को भी ढोंग बताया। उन्होंने कहा, 'कुछ लोग गांधी की बहादुरी की तारीफ करते हैं कि वह नोआखली गए या विभाजन के समय धार्मिक हिंसा रोकने की कोशिश की। लेकिन सवाल यह है कि उन्होंने दशकों तक सार्वजनिक और राजनीतिक बैठकों में धार्मिक विचार जाहिर क्यों किए और धार्मिक उन्माद फैलाने का काम क्यों किया? पहले आप आग लगाओ। फिर लपटें बुझाने का ड्रामा करो।'

पूर्व के कटु वचन

दिल्ली चुनाव पर

यदि भाजपा किरण बेदी की जगह शाजिया इल्मी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाती तो पार्टी जीत सकती थी। लोग सुंदर चेहरे को ज्यादा से ज्यादा वोट देते हैं।

भारतीयों पर

90 फीसद भारतीय मूर्ख हैं। वे भेड़ चाल में वोट करते हैं।

राष्ट्रपति पर

हमें कटरीना कैफ को अगला राष्ट्रपति बनाना चाहिए।

भारतीय सेना पर

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सेना में मौजूद भारतीय सिपाही ब्रिटिश राज द्वारा नियुक्त किए गए हत्यारे थे।

राजनीति पर

सुंदर महिलाओं को राजनीति में आना चाहिए। कम से कम उन्हें मीडिया में देखकर कुछ देर खुशी तो मिलेगी।

'मुझे इस बयान के लिए तीखे हमले झेलने होंगे। मैंने अक्सर यह जानते-बूझते हुए कि मुझे लोगों की निंदा झेलनी पड़ेगी, कई बातें कही हैं। मैं ऐसी चीजें इसलिए कहता हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि देश हित में ऐसा कहा जाना चाहिए।' -मार्कंडेय काटजू, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश

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