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75 दिनों बाद मंगलयान का लाल ग्रह से होगा मिलन

75 दिन में [शनिवार से] भारत के मंगलयान का लाल ग्रह से मिलन होना है। यह यान तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। 'मार्स आर्बिटर स्पेसक्राफ्ट' 52.5 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय कर चुका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] का कहना है कि पृथ्वी से एमओएम तक रेडियो सिगनल पहुंचने और वापस आने में 15 मिनट का समय लगता है।

By Edited By: Updated: Sat, 12 Jul 2014 04:39 PM (IST)
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बेंगलूर। 75 दिन में [शनिवार से] भारत के मंगलयान का लाल ग्रह से मिलन होना है। यह यान तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।

'मार्स आर्बिटर स्पेसक्राफ्ट' 52.5 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय कर चुका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] का कहना है कि पृथ्वी से एमओएम तक रेडियो सिग्नल पहुंचने और वापस आने में 15 मिनट का समय लगता है। अपने मार्स ऑर्बिट मिशन के फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में इसरो ने कहा है कि शनिवार से 75 दिन बाद एमओएम के 'मार्स ऑर्बिट इंजर्सन' की योजना है। इसरो ने अपने मंगलयान के सही रास्ते पर जाने के लिए 11 जून को दूसरी बार इसका मार्ग बदला था। सितंबर में मार्स ऑर्बिट इंजर्सन से पहले अगस्त में एक बार फिर यान का मार्ग बदलने की इसरो की योजना है।

मंगल के वातावरण के बारे में लगाएगा पता

450 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के तहत मंगलयान को धुव्रीय उपग्रह प्रक्षेपण यान [पीएसएलवी] से पिछले साल पांच नवंबर को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से छोड़ा गया था। इसके 24 सितंबर तक मंगल के वातावरण में पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। मार्स ऑर्बिटर मिशन का उद्देश्य भारत के अंतरिक्षयान निर्माण और इसकी कार्यक्षमता को प्रदर्शित करना है। इसके माध्यम से मंगल की सतह के बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा। इस मिशन के द्वारा स्वदेशी वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोग से मंगल के वातावरण के बारे में पता लगाया जाना है।

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