Move to Jagran APP

इन दिग्‍गजों के बल पर 'आप' ने जीती दिल्‍ली की जंग

आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता को इस चुनाव में अप्रत्याशित सीट हासिल करने का श्रेय दिया जा रहा है। मगर, खुद अरविंद केजरीवाल आप को ‘वन मैन पार्टी’ नहीं मानते। उनके अनुसार जीत का श्रेय उन लोगों को जाता है, जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर काम किया।

By Jagran News NetworkEdited By: Updated: Wed, 11 Feb 2015 08:35 AM (IST)
Hero Image

आशुतोष झा, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता को इस चुनाव में अप्रत्याशित सीट हासिल करने का श्रेय दिया जा रहा है। मगर, खुद अरविंद केजरीवाल आप को ‘वन मैन पार्टी’ नहीं मानते। उनके अनुसार जीत का श्रेय उन लोगों को जाता है, जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर वह काम किया जिसके बिना जीत की कल्पना तक नहीं की जा सकती है।

प्रचार-प्रसार और पार्टी की रणनीति बनाकर जनता तक पहुंचाने में केजरीवाल समेत नौ अहम सिपहसालारों की बड़ी भूमिका रही है। इनमें मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, सोमनाथ भारती भी शामिल हैं। इनके अलावा अन्य लोग भी हैं जिन्होंने बिना चुनाव लड़े अहम भूमिका निभाई।

आप के चाणक्य योगेंद्र यादव

आप के चाणक्य कहे जाने वाले योगेंद्र यादव राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। वह पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं और केजरीवाल के विश्वस्त सहयोगी माने जाते हैं। सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषक यादव लोकपाल आंदोलन के दौरान केजरीवाल के साथ आए। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उन्हें मुख्यंमत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था।

पढ़ें - केजरीवाल पीएम मोदी को देंगे शपथ ग्रहण समारोह में आने का न्यौता

हार के बाद कुछ सदस्यों ने हार का ठीकरा योगेंद्र यादव के सिर पर फोड़ा था। इसके बाद यादव और केजरीवाल में मनमुटाव की खबरें आई थीं। हरियाणा में हार की जिम्मेदारी लेते हुए यादव ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर एक तरह से केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हालांकि बाद में यादव के सुर नरम पड़ गए थे। योगेंद्र यादव ने ही दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप को 50 से ज्यादा सीटें मिलने की बात कही थी।

विश्वास ने हमेशा दिया साथ

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है..पेशे से लेक्चरर और कवि कुमार विश्वास जन लोकपाल आंदोलन के समय से केजरीवाल के साथ हैं। रामलीला मैदान में जोशीले भाषण और कविताओं के दम पर भीड़ जुटाई। केजरीवाल जब ने आप के गठन की बात कही तो सबसे पहले कुमार विश्वास ने विरोध किया।

पढ़ें - केजरी को मोदी ने दिया दिल्ली के विकास में सहयोग का वादा

लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद कुमार विश्वास ने मोदी की तारीफ की, जिससे लगने लगा था कि वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं। इन अटकलों के बावजूद वह केजरीवाल के साथ रहे और जमकर प्रचार किया। वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं और गंभीर मसलों पर केजरीवाल उनसे रायशुमारी करते हैं। किरण बेदी के भाजपा में शामिल होने पर विश्वास ने बेदी पर विश्वासघात का आरोप लगाया, इस पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

पक्ष रखने में आगे आशुतोष

आशुतोष एक समाचार चैनल में प्रबंध संपादक थे। वह जब अच्छी खासी नौकरी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए तो उस समय उनकी काफी आलोचना हुई थी। दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान आशुतोष प्रचार-प्रसार करने वाले पार्टी के प्रमुख नेताओं में शामिल थे। अरविंद केजरीवाल ने आशुतोष पर दांव खेला और लोकसभा चुनाव में चांदनी चौक से टिकट थमा दिया।

पढ़ें - माकन, वालिया सहित 62 कांग्रेसी उम्मीदवारों की जमानत जब्त

आशुतोष चुनाव तो हार गए, फिर भी केजरीवाल की टीम के अहम हिस्से बने रहे। चुनावी घोषणापत्र बनाते समय भी उनसे रायशुमारी की गई और उन्होंने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। फेसबुक और ट्विटर पर वह काफी सक्रिय रहते हैं और पार्टी का पक्ष रखने में सबसे आगे रहते हैं। बताया जाता है कि लोकपाल आंदोलन की कवरेज करते हुए आशुतोष काफी प्रभावित हुए थे। उन्होंने अन्ना आंदोलन पर किताब भी लिखी है।

पार्टी के थिंक टैंक में शामिल हैं राघव चड्ढा

दिल्ली का उत्साहित और युवा सीए राघव चड्ढा कुछ ही महीनों में आप में खास हो गया है। उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया है और थिंक टैंक में जगह मिली। राघव टीवी न्यूज चैनलों पर आप की तरफ से बहस करते हुए दिखत हैं। पार्टी ने राघव को प्रवक्ता बनाकर यूथ वोट हासिल करने का जो प्लान बनाया वह कामयाब रहा।

आप की आंधी में दिग्गजों का हुआ ये हाल, देखें तस्वीरें

राघव उम्दा वक्ता होने के साथ- साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। चुनाव के दौरान नई दिल्ली से भाजपा प्रत्याशी नूपुर शर्मा ने उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। पिछले दिना चर्च पर हमले के विरोध में मार्च निकालते समय उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

केजरीवाल के अहम सहयोगी हैं आशीष खेतान

तहलका के पूर्व पत्रकार आशीष खेतान आप के अहम सदस्य और पार्टी के प्रवक्ता हैं। आप ने घोषणपत्र तैयार करने की जिम्मेदारी आशीष को दी और उन्हें मैनिफेस्टो कमेटी का प्रमुख बनाया। कहा जाता है कि गुजरात दंगों के दौरान स्टिंग करने वाले आशीष खेतान ने ही आप नेताओं को राजनीति के असली गुर सिखाए।

प्रचार-प्रसार के तरीकों के साथ चंदा एकत्र करने के तरीके भी आशीष ने बताए। वह कार्यकारिणी के सदस्य होने के साथ केजरीवाल के अहम सहयोगी भी हैं। आशीष नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से आप के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं।

पढ़ें - अन्ना ने दी केजरी को नसीहत, इन कामों का कभी ना भूलें