Move to Jagran APP

मुलायम को समाजवादी मोर्चे की कमान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से घबराई पूर्व जनता दल की पार्टियों ने फिर से एकजुट होने की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में हुई इन पार्टियों की बैठक में 22 दिसंबर को मोदी सरकार के खिलाफ एक

By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Fri, 05 Dec 2014 12:17 AM (IST)
Hero Image

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से घबराई पूर्व जनता दल की पार्टियों ने फिर से एकजुट होने की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में हुई इन पार्टियों की बैठक में 22 दिसंबर को मोदी सरकार के खिलाफ एक साझा धरने का निर्णय लिया गया। यह वास्तव में जनता परिवार को एकजुट कर एक मोर्चे का रूप देने की दिशा में एक अहम कदम होगा। सभी पार्टियों का विलय किस तरह से हो यह तय करने के लिए मुलायम सिंह यादव को अधिकृत किया गया है।

बृहस्पतिवार को यहां सपा प्रमुख मुलायम सिंह के सरकारी आवास पर जद (यू), राजद, जद (एस), इनेलो और सजपा के नेता फिर से एक साथ जुटे। बैठक के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार ने कहा, "सभी लोगों में इस बात पर सहमति बनी है कि जनता परिवार के सभी घटक दल एक साथ मिलकर काम करेंगे। संसद में विभिन्न मुद्दों और विधेयकों पर भी हमारा साझा रुख रहेगा। संसद के बाहर एकजुटता होनी चाहिए। इसके मद्देनजर 22 दिसंबर को दिल्ली में सभी दल संयुक्त रूप से धरना देंगे।"

इन पार्टियों का विलय कर नई पार्टी के गठन के बारे में नीतीश कुमार ने कहा, "आगे का स्वरूप क्या होगा, इसकी प्रक्रिया तय करने के लिए सभी ने मुलायम सिंह यादव को अधिकृत किया है। वे सभी लोगों से बात कर प्रारंभिक कार्यवाही शुरू कर देंगे। अगली बैठक में सभी मिलकर उस पर फैसला करेंगे।" हालांकि उन्होंने इस एकजुटता के पीछे मोदी के खौफ को कारण मानने से इंकार किया लेकिन साथ ही यह भी माना कि सरकार की नाकामी और वादा खिलाफी ही इनका मुख्य मुद्दा होगा।

ये पार्टियां काले धन पर सरकार के वादे को सबसे प्रमुखता से उठाएंगी। नीतीश कुमार के मुताबिक, "कहा जा रहा था कि काला धन वापस लाएंगे और सबके खाते में 15 से 20 लाख रुपया मिल जाएगा। इसी तरह चुनाव के समय तो किसानों की बड़ी चिंता जताई जा रही थी। कहा जा रहा था कि सरकार बनने के बाद किसानों की जो लागत होगी, उसका डेढ़ गुना उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य के तौर पर दिलवाया जाएगा।

अब तो राज्य सरकारों को बोनस देने से भी रोका जा रहा है। उन्हें धमकी दी जा रही है कि अगर आपने बोनस दिया तो खरीद कम कर देंगे। इसी तरह चुनाव से पहले रोजगार देने का वादा किया और अब नियुक्तियों पर रोक लगा रहे हैं।" बैठक में मुलायम सिंह यादव और नीतीश कुमार के अलावा जद (एस) नेता और भूतपूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, राजद प्रमुख लालू प्रसाद, जद (यू) अध्यक्ष शरद यादव, इनेलो के दुष्यंत चौटाला और सजपा के कमल मोरारका मौजूद थे।

पढ़ेंः मुलायम बोले- मेहनत के बल पर ही मोदी ने यह मुकाम पाया

सारधा घोटालाः सृंजय ने कुणाल पर मढ़ा सारा दोष शाह ने तृणमूल को उखाड़ फेंकने का किया आह्वान