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आतंकियों को सीमा पर ही मार गिराएं

कश्मीर में शुक्रवार को हुए सनसनीखेज आतंकी हमलों के बाद नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर शनिवार को कश्मीर पहुंचे थल सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने कहा, बहादुर सैनिकों के बलिदान व्यर्थ नहीं जाएंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Sun, 07 Dec 2014 01:49 AM (IST)
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आतंकियों को सीमा पर ही मार गिराएं

जागरण न्यूज नेटवर्क, श्रीनगर । कश्मीर में शुक्रवार को हुए सनसनीखेज आतंकी हमलों के बाद नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर शनिवार को कश्मीर पहुंचे थल सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने कहा, बहादुर सैनिकों के बलिदान व्यर्थ नहीं जाएंगे। सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने साफ कहा- घुसपैठियों को किसी भी हालत में सीमा पार न करने दें, उन्हें नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर ही मार गिराया जाए। वादी में अमन और लोकतंत्र के माहौल के बिगाड़ने की हर साजिश को पूरी ताकत से नाकाम किया जाए। उड़ी में शुक्रवार को मारे गए आतंकियों के पास से बरामद सामान की पड़ताल से पता चला है कि उनका सामान पाकिस्तान निर्मित है। हमले की साजिश में पाकिस्तान के शामिल होने का यह पक्का सुबूत है।

बारामूला के उड़ी स्थित सैन्य शिविर में आतंकी हमले में शहीद हुए आठ सैन्यकर्मियों को श्रद्धांजलि देने आए थलसेना अध्यक्ष ने कहा कि आतंकी शहरों और बस्तियों में दाखिल न होने पाएं, इसके लिए सेना हर संभव प्रयास करे। बैठक में कश्मीर में एलओसी और वादी के अंदरूनी इलाकों में जारी आतंकरोधी अभियानों व सैन्य तैयारियों की भी जनरल सुहाग ने समीक्षा की। जनरल सुहाग ने ऑपरेशन रूम में उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा, चिनार कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा और अन्य वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ लगभग एक घंटे मंत्रणा की। जनरल सुहाग ने उड़ी में आतंकी निशाना बने सैन्य शिविर का भी जायजा लिया। संवाददाताओं से बातचीत में जनरल सुहाग ने कहा कि दो चरणों के मतदान के प्रति जनता के उत्साह से पैदा हुई हताशा में आतंकी अब आत्मघाती हमले कर रहे हैं। आतंकियों की कोशिश है कि तीसरे चरण का मतदान खौफ से प्रभावित हो। लेकिन सेना देश को यह भरोसा दिलाती है कि इन राष्ट्रविरोधी तत्वों के मंसूबे कामयाब नहीं होने दिए जाएंगे।

पहली बार मिली धुंआ उगलने वाली शॉटगन

श्रीनगर । पाकिस्तान भले ही जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को किसी प्रकार के समर्थन-सहयोग से इन्कार करे, लेकिन उड़ी सेक्टर में सैन्य शिविर पर शुक्रवार को हुए हमले में मारे गए विदेशी आतंकियों से मिले जूते, हथियार और खाना भी वही है जो पाकिस्तानी सेना का पैरा दस्ता इस्तेमाल करता है। इन आतंकियों से मिली शॉटगन भी उत्तरी कश्मीर में मारे गए किसी घुसपैठिए दल से पहली बार मिली है। इसके साथ मारे गए प्रत्येक आतंकी से दस-दस हजार रुपये की भारतीय करेंसी भी मिली है। इन आतंकियों के पास इतना खाना था कि वह एक सप्ताह तक मोर्चा संभाले खुद को जिंदा रख सकते थे।

शुक्रवार को उड़ी के निकट मौहरा में सेना के शिविर पर स्वचालित हथियारों से लैस लश्कर ए तैयबा के छह पाकिस्तानी आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में एक लेफ्टिनेंट कर्नल समेत 11 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि जवाबी कार्रवाई में सभी छह आतंकी मारे गए थे। आतंकियों से बरामद हथियारों व अन्य साजो सामान की जब छानबीन की गई तो वह वही सामान निकला जो पाकिस्तान सेना की स्पेशल फोर्स अथवा पैरा कमांडो उच्चपर्वतीय इलाकों में अपने अभियानों में इस्तेमाल करते हैं।

कीमा, चिकन, चपाती, चावल था खाने में

सेना के अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों से पाकिस्तानी सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पानी के पाउच, दूध पाउडर, दाल माश, कीमा गोश्त, अचारी चिकन, चॉकलेट, जूस, सूखे खजूर, चपातियां, चावल और बिस्कुट मिले हैं। बिस्कुट पाकिस्तान की सुपर कंपनी के बने हुए हैं, जबकि खजूर खुले बाजार से लिए गए थे। खाने का अन्य सामान पूरी तरह डिब्बाबंद और 'रेडी टू ईट' प्रकृति के हैं। इन पैकेटों पर उर्दू और अंग्रेजी में पूरा ब्योरा लिखा गया है कि इन्हें कैसे खाया जाए। जून, 2014 को तैयार हुए खाने के ये पैकेट अगले एक साल तक इस्तेमाल किए जाने योग्य हैं। मारे गए आतंकियों ने जो जूते पहने थे, वे भी पाकिस्तानी सेना के पैरा कमांडो दस्ते द्वारा ही इस्तेमाल किए जाते हैं। ये जूते गुलाम कश्मीर और सियाचिन के अलावा अफगानिस्तान में तैनात पाकिस्तानी सेना के कमांडो पहनते हैं।

दुश्मन को धोखा देने के काम आती है शॉटगन

सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात आतंकियों से शॉटगन का मिलना है। यह शॉटगन न सिर्फ सामान्य कारतूस फायर करती है, बल्कि यह धुआं फेंक स्मोक स्क्रीन बनाने वाले गोले को भी दाग सकती है। इसका उपयोग तभी होता है जब जंग के मैदान में या किसी कमांडो कार्रवाई में धोखा देने के लिए दुश्मन की गोलीबारी के बीच बचते हुए आगे बढ़ना होता है। इससे फायर किए जाने वाले स्मोक शेल से धुआं फैलता है, जिससे दुश्मन को कुछ नजर नहीं आता और इसकी आड़ में दुश्मन के पास पहुंचकर उसे मार गिरा सकते हैं। आतंकियों से बरामद हथियारों के जखीरे में से अधिकांश साजो- सामान पाकिस्तान की आयुध फैक्ट्री में ही बना हुआ है।