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प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से 'मिशन अंबेडकर' का शंखनाद

दलितों और पिछड़े वर्ग में पैठ मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आधुनिक भारत में दलितों के सबसे बड़े प्रतीक डॉ. भीमराव अंबेडकर को आत्मसात करने के अभियान में जुट गई है।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Sun, 12 Apr 2015 07:54 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दलितों और पिछड़े वर्ग में पैठ मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आधुनिक भारत में दलितों के सबसे बड़े प्रतीक डॉ. भीमराव अंबेडकर को आत्मसात करने के अभियान में जुट गई है।

इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए संघ व उससे जुड़े संगठन अंबेडकर के दर्शन व चिंतन के प्रसार की तैयारी कर रहे हैं। इसकी अनौपचारिक शुरुआत अंबेडकर जयंती के दो दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से होने जा रही है।

संघ और उससे जुड़े संगठनों के बुद्धिजीवियों ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 16 व 17 अप्रैल को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया है। इसमें अंबेडकर के सर्व-समावेशी चिंतन पर चर्चा की जाएगी। संगोष्ठी के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चार केंद्रीय मंत्री इसमें शामिल होने के लिए वाराणसी जा रहे हैं।

इनमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री कलराज मिश्र, केंद्रीय सामाजिक आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, राज्य मंत्री विजय सांपला और जनजातीय कार्य मंत्री जुएल उरांव भाग लेंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र संघचालक देवेंद्र प्रताप सिंह व भाजपा प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री भी शिरकत कर रहे हैं।

संगोष्ठी के आयोजनकर्ता और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के अध्यक्ष व स्वदेशी जागरण मंच के प्रांच संचालक प्रोफेसर कौशल किशोर के मुताबिक इस संगोष्ठी में अंबेडकर के शिक्षा और दार्शनिक विचारों, भारतीय संविधान की संरचना में उनकी भूिमका, सामाजिक न्याय और महिला स्वावलंबन के संबंध में उनके विचार, आर्थिक दर्शन और चिंतन, अंत्योदय और समावेशी विकास की संकल्पना पर चर्चा की जाएगी।

साथ ही अंबेडकर, महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय के विचारों में समानता पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। संगोष्ठी में धर्म के संबंध में अंबेडकर के विचार व पाकिस्तान संकल्पना पर अंबेडकर के विचारों पर भी चर्चा होगी। साथ ही हिंदू कोड बिल व अंबेडकर के राजनीतिक विचारों पर भी विद्वान चर्चा करेंगे।

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