कोहिनूर भारत वापस लाने की कोशिश को लगा झटका, अब कैसे आएगा वापस?
भारत काफी समय से कोहिनूर वापस लाने की कोशिश में जुटा हुआ है। ब्रिटेन ने 2013 में इस मांग को खारिज कर दिया था। सरकार ने अपने हालिया बयान में कहा है कि फिलहाल यह मामला विचाराधीन है।
नई दिल्ली, (एएनआई)। ब्रिटेन से कोहिनूर को वापस लाने की भारत की मुहिम को झटका लगा है। ब्रिटेन के एशिया और पैसिफिक मामलों के मंत्री आलोक शर्मा ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार का मानना है कि कोहिनूर को लौटाने का कोई लीगल ग्राउंड नहीं है।
यूके मिनिस्टर ब्रेग्जिट के बाद भारत आने वाले पहले ब्रिटिश मंत्री हैं। आलोक शर्मा ने कहा, 'यह यूके सरकार का काफी पुराना स्टैंड है। सरकार नहीं मानती कि कोहिनूर लौटाने का कोई भी लीगल ग्राउंड बनता है। पिछले हफ्ते खबर आई थी कि भारत दुनिया के सबसे बड़े हीरों में से एक कोहिनूर को वापस लाने के लिए जल्द ही ब्रिटेन से संपर्क कर सकता है।
फिलहाल कोहिनूर टावर ऑफ लंदन में प्रदर्शित राजमुकुट में लगा है। सूत्रों ने बताया था कि एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया है।
1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज से पंजाब की हार के बाद सिख साम्राज्य के हाथों से कोहिनूर निकल कर कंपनी राज के कोष में पहुंच गया। उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी का कोष लाहौर में था। बाद में कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन में महारानी विक्टोरियो को सुपुर्द कर दिया गया।
भारत काफी समय से कोहिनूर वापस लाने की कोशिश में जुटा हुआ है। ब्रिटेन ने 2013 में इस मांग को खारिज कर दिया था। सरकार ने अपने हालिया बयान में कहा है कि फिलहाल यह मामला विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की गई है। सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार को इसमें सरकार का पक्ष बताना है।
सरकार के मुताबिक फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में पक्ष नहीं रखा गया है। अप्रैल में मोदी सरकार ने कोहिनूर हीरे को लौटाकर लाए जाने के मामले में असमर्थता जताई थी। 18 अप्रैल को सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि संस्कृति मंत्रालय के मुताबिक भारत कोहिनूर पर दावा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि ना तो कोहिनूर को चुराया गया था और ना ही जबरन ले जाया गया था।
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