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गांवों में लाएं अच्छे दिन: मोदी

आजादी के बाद से उपेक्षा का शिकार रहे गांवों में खुशहाली लाने के लिए मोदी सरकार ने मुहिम छेड़ दी है। 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' के सहारे अब केंद्र सरकार गांवों में अच्छे दिन लाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में योजना का शुभारंभ करते हुए स्पष्ट कर दिया कि गांव भी अब मांग आधारित सुविधा की सीढ़ी चढ़ेंगे। उन्होंने सभी सांसदों से अपने वर्तमान कार्यकाल में कम से कम तीन आदर्श गांव बनाने की अपील की। मोदी ने खुद भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक आदर्श गांव बनाने का फैसला किया है। इस तरह उन्होंने सांसदों के सामने विकास की राजनीति के लिए भी चुनौती पेश कर दी है।

By Sachin kEdited By: Updated: Sun, 12 Oct 2014 01:25 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आजादी के बाद से उपेक्षा का शिकार रहे गांवों में खुशहाली लाने के लिए मोदी सरकार ने मुहिम छेड़ दी है। 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' के सहारे अब केंद्र सरकार गांवों में अच्छे दिन लाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में योजना का शुभारंभ करते हुए स्पष्ट कर दिया कि गांव भी अब मांग आधारित सुविधा की सीढ़ी चढ़ेंगे। उन्होंने सभी सांसदों से अपने वर्तमान कार्यकाल में कम से कम तीन आदर्श गांव बनाने की अपील की। मोदी ने खुद भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक आदर्श गांव बनाने का फैसला किया है। इस तरह उन्होंने सांसदों के सामने विकास की राजनीति के लिए भी चुनौती पेश कर दी है।

लाल किले से अपने पहले भाषण में की गई घोषणाओं को एक-एक कर अमलीजामा पहना रहे मोदी ने शनिवार को 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' को हरी झंडी दिखा दी। जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर इसका उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि वह गांव के बारे में महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि आदर्श ग्राम का अर्थ यह है कि वह स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा, विकास के साथ-साथ आपसी सौहा‌र्द्र का केंद्र बने।

कांग्रेसी सांसद भी आए :

स्वच्छता मिशन से परे इस उद्घाटन समारोह में कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी भी मौजूद रहे। इन सांसदों की मौजूदगी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विपक्ष के लिए भी इसे नजरअंदाज करना मुश्किल है।

सांसदों के लिए चुनौती:

मोदी ने सांसदों के सामने भी चुनौती रख दी है कि वे अपनी योग्यता साबित करें, वरना अगला चुनाव उनके लिए मुश्किल साबित हो सकता है। साथ ही राज्यों के सामने भी उदाहरण रखा कि अगर विधायकों के लिए भी योजना बनाई जाए तो सालाना 6-7 हजार अतिरिक्त आदर्श गांव बन सकते हैं।

अपना या पत्नी का गांव नहीं चुन सकेंगे:

योजना के तहत गांव का चयन भी सांसद खुद करेंगे। शर्त सिर्फ इतनी है कि वह गांव उनका या पत्नी का नहीं होना चाहिए। योजना के दिशा-निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। यह योजना सभी योजनाओं को एक साथ लाने की कोशिश है। कई मंत्रालय एक साथ मिलकर विकास की योजना पर काम करेंगे। फर्क इतना होगा कि इसमें सांसदों और जनता की स्पष्ट भूमिका होगी और कोई बिचौलिया नहीं होगा। गांवों में ढांचागत विकास के साथ नैतिक विकास का भी साधन मुहैया होगा और कोशिश होगी कि रामराज की तर्ज पर व्यवस्था बनाई जा सके।

संसद में लगभग आठ सौ सांसद हैं। अगर हर सांसद 2019 तक तीन गांवों को आदर्श बनाने में सफल होता है, तो 2400 ऐसे गांव देश के मानचित्र पर उभर कर आएंगे जिनपर हमें गर्व होगा। कमजोर गांव की नींव पर मजबूत भारत खड़ा नहीं हो सकता है।

-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

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