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मोदी के समक्ष बुनियादी ढांचे के विकास का खाका पेश

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में बुनियादी ढांचा विकास के अपने विजन को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सड़क, रेल व विमानन मंत्रालय के प्रभारी मंत्रियों के साथ चर्चा की। उन्होंने इन क्षेत्रों की चुनौतियों को समझने व समाधान के उपाय तलाशने की कोशिश की। बैठक में सड़क परिवहन, राजमार्ग व जहाजरानी म

By Edited By: Updated: Sat, 21 Jun 2014 10:29 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में बुनियादी ढांचा विकास के अपने विजन को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सड़क, रेल व विमानन मंत्रालय के प्रभारी मंत्रियों के साथ चर्चा की। उन्होंने इन क्षेत्रों की चुनौतियों को समझने व समाधान के उपाय तलाशने की कोशिश की। बैठक में सड़क परिवहन, राजमार्ग व जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी, रेलमंत्री सदानंद गौड़ा व विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने अपने-अपने क्षेत्रों के बारे में प्रधानमंत्री के समक्ष प्रजेंटेशन पेश किए।

सड़क क्षेत्र की चुनौतियों व संभावनाओं की चर्चा करते हुए गडकरी ने प्रधानमंत्री को बताया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की गलत नीतियों के कारण राजमार्गो का विकास लगभग ठप पड़ गया है। न कंपनियां निवेश के लिए आगे आ रही हैं, और न वित्तीय संस्थान उन्हें कर्ज देने को तैयार हैं। कड़े भूमि अधिग्रहण कानून के कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) काल में शुरू राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना मझधार में फंस गई है। जगह-जगह टोल व अन्य विवाद भी खड़े हो गए हैं। इससे उबरने के लिए कुछ बदलाव आवश्यक हैं। इनमें भूमि अधिग्रहण कानून व मॉडल कंसेशन एग्रीमेंट में संशोधन प्रमुख हैं। उन्होंने सीमेंट की सड़कें बनाने की अपनी मंशा का जिक्र भी किया और कहा कि लंबी अवधि तक टिकाऊ सड़कों के लिए यही रास्ता बेहतर है। उन्होंने सड़क परियोजनाओं में योजना आयोग की भूमिका को गैरजरूरी बताया।

गौड़ा ने शुक्रवार को घोषित किराया-भाड़ा वृद्धि का जिक्र कर पीएम को आश्वस्त करने की कोशिश की कि रेलवे को पटरी पर लाने का पहला कदम उठाया जा चुका है। इससे लंबित परियोजनाओं, हाई स्पीड डायमंड कॉरीडोर, एग्री नेटवर्क को पूरा करने व मानवरहित रेलवे क्रॉसिंगों पर पुल के लिए धन जुटाने और निजी व विदेशी निवेश आकर्षित करने में आसानी होगी। उन्होंने कश्मीर व पूर्वोत्तर की सीमावर्ती राष्ट्रीय परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने की जरूरत भी बताई।

गजपति राजू ने एविएशन क्षेत्र का खाका पेश किया। उन्होंने पीएम को एयर इंडिया की माली हालत, पुनरुद्धार प्लान के सुस्त क्रियान्वयन, छोटे व मझोले नगरों को हवाई यातायात से जोड़ने की योजना व एटीएफ पर अधिक टैक्स के कारण एयरलाइन उद्योग पर पड़ रहे वित्तीय दबाव का ब्योरा दिया। राजू ने पिछली सरकार की लापरवाही से अमेरिकी नियामक एफएए के भारत की रेटिंग डाउनग्रेड करने व उससे पैदा होने वाली समस्याओं का जिक्र भी किया। बताया कि रेटिंग बहाल कराने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे हैं। रेटिंग बहाल कराने के लिए उन्होंने लंबित सिविल एविएशन अथॉरिटी बिल को संसद से जल्द से जल्द पारित कराने की जरूरत बताई। इससे ही विमानन नियामक डीजीसीए की जगह नया शक्तिशाली संगठन खड़ा हो सकेगा और देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एविएशन सेफ्टी विशेषज्ञों की नियुक्ति हो सकेगी।

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