मिशन मोदी पर कहीं भारी न पड़ जाए युवाओं की अनदेखी
आम आदमी पार्टी [आप] की उठान से हल्का सा बैकफुट पर आई भारतीय जनता पार्टी के लिए युवाओं की अनदेखी भारी पड़ सकती है। हकीकत है कि अक्टूबर और नवंबर में युवा जोड़ो अभियान चलाने का ख्वाब देखने वाली भाजपा के युवा मोर्चे [भाजयुमो] की क्षेत्रीय समितियां ही जनवरी के पहले हफ्ते तक गठित नहीं हो पाई थीं। युवा मतद
लखनऊ [राजीव दीक्षित]। आम आदमी पार्टी [आप] की उठान से हल्का सा बैकफुट पर आई भारतीय जनता पार्टी के लिए युवाओं की अनदेखी भारी पड़ सकती है। हकीकत है कि अक्टूबर और नवंबर में युवा जोड़ो अभियान चलाने का ख्वाब देखने वाली भाजपा के युवा मोर्चे [भाजयुमो] की क्षेत्रीय समितियां ही जनवरी के पहले हफ्ते तक गठित नहीं हो पाई थीं। युवा मतदाताओं को लोकसभा चुनाव में गेम चेंजर माना जा रहा है। इसी को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रभारी व नरेंद्र मोदी के सिपहसालार अमित शाह ने 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक प्रदेश में युवा जोड़ो अभियान चलाने का निर्देश दिया था।
इसी क्रम में प्रत्येक पदाधिकारी को दस डिग्री कॉलेजों में जाकर छात्रों को पार्टी के पक्ष में लामबंद करना था। मकसद था कॉलेज व विश्वविद्यालयों में जाकर नवजवानों को पार्टी से जोड़ने की मुहिम चलाई जाए। मुहिम चलाना तो दूर भाजयुमो क्षेत्रीय समितियों के गठन में ही फंसा रह गया। स्थिति यह है कि भाजुयमो की बरेली, बुंदेलखंड व काशी क्षेत्र की समितियां 27 दिसंबर को और अवध, बृज व पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की समितियां 30 दिसंबर को घोषित की जा सकीं। वहीं, गोरखपुर क्षेत्र की समिति का एलान तो तीन जनवरी को जाकर हो सका।