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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बढ़ रहा भारत

पारंपरिक भारतीय कूटनीति गुटनिरपेक्ष पर अाधारित है। प्रधानममंत्री नरेंद्र मोदी इससे अागे बढ़कर पूरी दुनिया सभी को साधने में लगे हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Sun, 12 Jun 2016 07:05 PM (IST)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही खत्म हुई अमेरिकी यात्रा से विश्व समुदाय में उनका कद और बढ़ गया है। अपने विचार और नीतियों से पीएम मोदी ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की तरफ खींचा है। विदेशी दौरों के समय पीएम मोदी का अंदाज और लोगों से मिलना उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलाता है। उनकी मुस्कान, गर्मजोशी से मिलना, पोशाक, विनम्रता, परंपरा के अन्य देश भी कायल हैं। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत एक शक्तिशाली देश के रुप में तेजी से उभर रहा है।

पारंपरिक भारतीय कूटनीति गुटनिरपेक्ष पर अाधारित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे अागे बढ़कर पूरी दुनिया को साधने में लगे हैं। पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल अौर श्रीलंका के साथ अार्थिक अौर सैन्य मुद्दों पर एक एक उर्जावान प्रयास किए गए हैं।। भारत के इन प्रयासों पर अंतराष्ट्रीय विचारक सी राजामोहन ने कहा कि भारतीय कूटनीति में बदलाव अा रहा है। इसके लिए एक शब्द है हम अागे बढ़ रहे हैं।

पीएम मोदी ने अपनी हाल की यात्रा पर इसका संकेत दिया है। दक्षिणी ईरान के चाबहार बंदरगाह से पाकिस्तान से गुजरे बगैर भारत अफगानिस्तान और यूरोप तक संपर्क कायम कर सकेगा। इस दौरान दोनों देश कट्टरपंथ और आतंकवाद से लड़ने में सहयोग पर भी सहमत हुए। चाबहार बंदरगाह के विकास से जुड़े द्विपक्षीय समझौते के अलावा भारत, अफगानिस्तान और ईरान ने परिवहन और ट्रांजिट कॉरिडोर पर एक त्रिपक्षीय समझौते पर दस्तखत किए। परिवहन और ट्रांजिट कॉरिडोर समझौते के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे 'क्षेत्र के इतिहास की धारा बदल सकती है।' भारत चाबहार बंदरगाह के लिए 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा।

पीएम मोदी और मेजबान देश के राष्ट्रपति हसन रूहानी के बीच हुई विस्तृत चर्चा के बाद भारत और ईरान ने द्विपक्षीय समझौतों पर दस्तखत किए। एक एल्युमिनियम संयंत्र की स्थापना और अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया तक भारत को पहुंच कायम करने देने के लिए एक रेल लाइन बिछाने को लेकर भी द्विपक्षीय समझौते हुए। इन समझौतों का मकसद अलग-अलग क्षेत्रों, जिसमें अर्थव्यवस्था, व्यापार, परिवहन, बंदरगाह विकास, संस्कृति, विज्ञान एवं शैक्षणिक सहयोग शामिल हैं, में भारत-ईरान के रिश्तों को गहरा बनाना है।


4 जून को श्री मोदी ने अफगानिस्तान में अफगान-भारत मैत्री बांध का उद्घाटन किया। यह बांध अफगानिस्तान में भारत के पुनर्निर्माण प्रयासों की एक अन्य बड़ी उपलब्धि है। इस बांध को सलमा डैम के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण भारतीय सहयोग से किया गया है। बांध पर लगे तीनों टर्बाइनों से 42 मेगावाट बिजली उत्पादित की जाएगी और इस पानी से लगभग 75,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। अफगान-भारत मैत्री बांध अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में चिश्त-ए-शरीफ नदी पर बनी एक ऐतिहासिक ढांचागत परियोजना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका सहित 5 देशों की हालिया यात्रा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता, आतंकवाद और मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) के कारण चर्चा में है। इस क्रम में उन्हें एमटीसीआर में भारत को प्रवेश का रास्ता साफ कराने और आतंकवाद पर वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को बेनकाब करने में सफलता मिली है। विदेश मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही एनएसजी की सदस्यता मामले में भारत ने यूरोप और अमेरिकी देशों को साध कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी अपनी इस यात्रा में एमटीसीआर में भारत को प्रवेश कराने में सफलता हासिल कर रक्षा क्षेत्र के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानि एनएसजी में सदस्यता के लिए भारत के दावे का चीन भले ही खुलकर विरोध कर रहा हो लेकिन नई दिल्ली अब तक चीन के खिलाफ खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज करती आयी है। हालांकि, चीन के खिलाफ जिस तरह की लोगों में प्रतिक्रिया रही उसने नई दिल्ली से लेकर बीजिंग तक के कान खड़े कर दिए हैं। अब ये उम्मीद लगाई जा रही है कि एनएसजी सदस्यता के दावे पर पीएम मोदी खुद चीन के राष्ट्रपति को मना सकते हैं।

चीन के खिलाफ बोलने से बीजिंग वही करेगा जो भारत नहीं चाहता है। पिछले कुछ दिनों में भारत ने लगातार अपनी तरफ से चीन के साथ संबंधों का सामान्य बनाए रखने की कोशिश की है। इसके लिए चीन के विद्वानों को भारत में आयोजित सम्मेलन में आने के लिए आसानी से कॉन्फ्रेंस वीजा जारी किए जे रहे हैं, जिस पर चीन को लंबे समय से शिकायत थी।