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श्रीश्री रविशंकर के मंच पर मोदी, तो जमीयत के साथ सोनिया और राहुल गांधी

11 मार्च को श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम में अगर मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे, तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अगले ही दिन जमीयत उलमा-ए-हिंद के मंच पर मौजूद रहेंगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Thu, 10 Mar 2016 08:03 AM (IST)
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नई दिल्ली। धार्मिक और सांस्कृतिक एकता के सम्मेलनों में भी सियासी दलों की प्रतिस्पर्धा जारी है। 11 मार्च को श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम में अगर मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे, तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अगले ही दिन जमीयत उलमा-ए-हिंद के मंच पर मौजूद रहेंगी। उनके साथ पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी होंगे।

खास बात है कि दोनों कार्यक्रम सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक एकता के लिए हैं। मगर राजनेताओं की भागीदारी ने इसे दूसरा रंग भी दे दिया है। श्रीश्री विश्व संस्कृति महोत्सव जैसा विराट कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। 155 देशों के लोग इसमें भाग लेने आ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी इसके उद्घाटन सत्र में मौजूद रहेंगे।

इसी बीच, मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने 12 मार्च को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में सम्मेलन करने का निर्णय लिया है। लगभग 40 हजार से ज्यादा लोगों के इसमें जुटने की उम्मीद है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी भी इसमें शिरकत करेंगे।

हालांकि, संगठन के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य धर्मनिरपेक्षता बताते हुए कहा कि इसका सियासत से कोई रिश्ता नहीं है। इसके साथ ही मदनी ने श्रीश्री के कार्यक्रम का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई अमन और भाईचारे के लिए प्रयास कर रहा है, तो हम संप्रदाय से ऊपर उठकर उसका इस्तकबाल करते हैं।

सरकार पर निशाना साधते हुए मदनी ने कहा कि इस्लामी देशों में मोदी के दौरों की जमीनी हकीकत न के बराबर है। न ही इससे देश के मुसलमानों को कोई फायदा है। उनका कहना है कि अगर मोदी सरकार "सबका साथ सबका विकास" में विश्वास रखती है, तो खुल कर बोले कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मुसलमानों का है।

आतंकवाद के खिलाफ दिल्ली में जुटेंगे मुस्लिम विद्वान

ऑल इंडिया उलेमा मशाइख बोर्ड के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष हजरत सैयद मुहम्मद अशरफ किछौछवी ने कहा कि आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए दिल्ली रामलीला मैदान में 20 मार्च को 20 देशों के 200 विद्वान जुट रहे हैं। इनमें आध्यात्मिक गुरु और शिक्षाविद भी होंगे।

बुधवार को यहां वसंत विहार में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जिहादी ताकतों के हाथों इंसानियत का कत्ल हो रहा है। इससे मुकाबला करने की तत्काल आवश्यकता है। सुन्नी सूफी लीडर श्री किछौछवी ने कहा कि समय का तकाजा यही है कि राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवादी समूहों द्वारा इस्लाम की व्याख्याओं पर गंभीरता बरतने के लिए एक मंच स्थापित किया जाए।

विश्र्व के अन्य भागों में जिहादी शक्तियों ने इस्लाम की छवि को बिगाड़ा है। विश्र्वास है कि इस्लाम के नाम पर दुनिया में जो खूनखराबा किया जा रहा है उसका विकल्प मुसलमान सूफीवाद को बढ़ावा देकर दे सकता है।

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