जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक चीन की ओर से हो रहे लगातार घुसपैठ के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से खरी-खरी बात की। शी से शिखर वार्ता में पीएम ने दो टूक शब्दों में सीमा पर घुसपैठ का मामला उठाया, नत्थी वीजा नीति पर सवाल खड़ा किया और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर
By Edited By: Updated: Fri, 19 Sep 2014 04:08 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक चीन की ओर से हो रहे लगातार घुसपैठ के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से खरी-खरी बात की। शी से शिखर वार्ता में पीएम ने दो टूक शब्दों में सीमा पर घुसपैठ का मामला उठाया, नत्थी वीजा नीति पर सवाल खड़ा किया और वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर स्पष्टता की भी बात की। हालांकि चिनफिंग ने भी कूटनीतिक लहजे में सीमा से जुड़े मसलों की जिम्मेदारी भारत पर डालकर खुद को बचाने की कोशिश की। बहरहाल दोनों देशों ने यह सुनिश्चित कर लिया कि सुरक्षा को लेकर इस खरी-खरी बात से व्यापारिक और आर्थिक सहयोग और समझौतों पर कोई आंच न आए। दोनों देशों के बीच एक दर्जन समझौते हुए। यह भी तय हो गया कि अगले पांच साल में चीन भारत में 20 अरब डॉलर निवेश करेगा। इसी दौरान चीनी राष्ट्रपति ने मोदी को बीजिंग आने के लिए आमंत्रित भी किया है।
बुधवार को अहमदाबाद में चिनफिंग के आतिथ्य में पलक पांवड़े बिछाने के बाद गुरुवार को भारत सरकार ने साफगोई से बात की। गुरुवार सुबह हैदराबाद हाउस में मोदी और चिनफिंग के बीच हुई शिखर वार्ता में भारत ने दो टूक अपना पक्ष रखा और चीन को यह समझाने में भी कामयाब रहा कि रिश्तों की गरमाहट के लिए एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है। हालांकि यह देर शाम तक तय नहीं हो पाया कि दोनों नेताओं की ओर से संयुक्त बयान जारी होंगे या नहीं। संभवत: सीमा विवाद को लेकर दोनों देश अभी और स्पष्टता से रोडमैप तय कर लेना चाहते हें।
बहरहाल, मोदी और चिनफिंग ने अलग अलग अपनी राय जरूर सार्वजनिक रूप से रख दी। तय समय से थोड़ी देर से ही सही, दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के सामने अलग-अलग बयान दिए। पीएम मोदी ने कहा कि चीन और भारत महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं। दोनों की क्षमता का पूरा उपयोग तभी होगा, जब वे एक-दूसरे की चिंताओं को संवेदनशीलता के साथ समझें। उन्होंने साफ-साफ शब्दों में चीन की नत्थी वीजा नीति, सीमा पर घुसपैठ, एलएसी का सवाल उठाया। गौरतलब है कि चिनफिंग के भारत दौरे से ठीक पहले चुमार में चीनी सेना की ओर से घुसपैठ हुई। जाहिर तौर पर मोदी इससे नाखुश थे और सधे शब्दों में ही सही उन्होंने यह जाहिर भी कर दिया कि कोई भी संबंध आपसी विश्वास की धरातल पर ही टिक सकता है। चीन के थिंकटैंक चाइनिज एसोसिएशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज ने भी सीमा विवाद पर भारत की ओर से कड़े रुख अपनाए जाने की संभावना जताई है। दरअसल, शिखर वार्ता के बाद मोदी कूटनीतिज्ञ के साथ-साथ एक ऐसे नेता की तरह दिखे जो जनता को भी यह भरोसा दिला देना चाहते थे कि वह अपनी छवि के अनुरूप ही शक्तिशाली चीन से भी बात करेंगे और अन्य देशों से भी। कैलास मानसरोवर के लिए नाथूला से नया रास्ता खोलने के लिए भी चीन को तैयार कर सकते हैं और यह मानने को भी विवश कर सकते हैं कि सीमा पर उठते रहे विवादों का निपटारा होना चाहिए। लेकिन चिनफिंग भी पूरी तरह कूटनीतिज्ञ की भाषा में बोलते दिखे। उन्होंने माना कि सीमा पर कुछ घटनाएं होती है, लेकिन इसका कारण चीन नहीं बल्कि सीमा की पहचान नहीं होना है। उन्होंने कहा कि सीमा को लेकर कोई स्पष्ट निशान नहीं है। लेकिन आशा जताई कि दोनों देश बैठकर इस मुद्दे को सुलझा सकते हैं। नत्थी वीजा मुद्दे पर तो चिनफिंग ने कोई बात नहीं की, लेकिन आर्थिक सहयोग पर ही जोर दिया।
चिनफिंग ने कहा कि दोनों देशों के विकास के एक ही लक्ष्य हैं। व्यावहारिक पारस्परिक विकास जरूरी है और उसके लिए कदम से कदम मिलाकर चीन बढ़ने को तैयार है। सांस्कृतिक स्तर पर संबंध कुछ कदम और आगे बढ़ेगा। चीन गोवा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी हिस्सा लेगा। 2015 चीन में 'विजिट इंडिया' और 2016 भारत मे 'विजिट चाइना' के रूप में मनाया जाएगा। आपसी सहयोग के दौर में ही भारत, चीन, बांग्लादेश और म्यांमार के बीच आर्थिक कारीडोर बनाने पर भी चर्चा हुई। अपने बयान में चिनफिंग ने मोदी के कार्यकाल में भारत की प्रगति की आशा जताकर यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब दोनों देश में मजबूत नेताओं का उदय हुआ है तो रिश्तों पर वर्षो से जमी बर्फ पिघलनी ही चाहिए। शिखर वार्ता के प्रमुख मुद्दे
-सरकार या राष्ट्राध्यक्ष के स्तर पर सालाना एक-दूसरे देश का दौरा - मानसरोवर यात्रा के लिए नाथूला पास की तरफ से नया रास्ता खोलने पर सहमति -सिविल न्यूक्लियर ऊर्जा के लिए सहयोग -2015 विजिट इंडिया इयर, 2016 विजिट चाइना इयर - 2015-2019 तक सालाना 200 युवाओं का पारस्परिक आदान प्रदान - चेन्नई-मैसूर वाया बेंगलूर रेल लाइन प्रोजेक्ट को गति - भारतीय रेलवे के सौ लोगों को चीन देगा प्रशिक्षण, रेलवे स्टेशनों के पुनरुद्धार और रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना में भी मदद -दोनों देशों में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए पहचान -बौद्ध कला का चीन में प्रदर्शन -गोवा फिल्म फेस्टिवल और अंतरराष्ट्रीय बुक फेयर में चीन लेगा हिस्सा - सामुद्रिक सहयोग को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत -बीसीआइएम इकानामिक कारीडोर बनाने की दिशा में कदम -डब्ल्यूटीओ, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों पर समन्वय।