मिशन-2014 की कमान नरेंद्र मोदी के हाथों में सौंपने के साथ ही भाजपा में नए युग की शुरुआत हो गई। अंदरूनी खींचतान को भाजपा सहित सभी सहयोगी दलों की सहमति में तब्दील करते हुए पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी को आम चुनाव के लिए पार्टी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया। फैसले के खिलाफ खड़े लालकृष्ण आडवाणी ने अपने विरोध और नाराजगी का पत्र भेजकर पार्टी के उत्साह पर थोड़ा पानी जरूर डाला। गोवा कार्यकारिणी की तर्ज पर वह संसदीय बोर्ड की बैठक से भी नदारद रह
By Edited By: Updated: Sat, 14 Sep 2013 12:42 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मिशन-2014 की कमान नरेंद्र मोदी के हाथों में सौंपने के साथ ही भाजपा में नए युग की शुरुआत हो गई। अंदरूनी खींचतान को भाजपा सहित सभी सहयोगी दलों की सहमति में तब्दील करते हुए पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी को आम चुनाव के लिए पार्टी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया। फैसले के खिलाफ खड़े लालकृष्ण आडवाणी ने अपने विरोध और नाराजगी का पत्र भेजकर पार्टी के उत्साह पर थोड़ा पानी जरूर डाला। गोवा कार्यकारिणी की तर्ज पर वह संसदीय बोर्ड की बैठक से भी नदारद रहे, लेकिन इससे कार्यकर्ताओं के जुनून में कोई कमी नहीं दिखी।
पढ़ें: पार्टी में आडवाणी का विवादों से पुराना नाताआडवाणी को छोड़कर बाकी संसदीय बोर्ड सदस्यों की सहमति हासिल कर शुक्रवार को राजनाथ ने मोदी को चुनावी चेहरा बना दिया। मोदी जिंदाबाद और राजनाथ जिंदाबाद के नारों के बीच इसकी घोषणा करते हुए पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि दल में प्रधानमंत्री उम्मीदवार तय कर ही लोकसभा चुनाव में जाने की परंपरा रही है। उसी परंपरा में अगले आम चुनाव के लिए मोदी को उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने आशा जताई कि मोदी निर्णायक भूमिका निभाएंगे। मंच पर मौजूद सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, मुरली मनोहर जोशी, नितिन गडकरी समेत दूसरे सभी सदस्यों ने ताली बजाकर इसका स्वागत किया। वहीं, मोदी ने धन्यवाद देते हुए आश्वासन दिया कि पार्टी और कार्यकर्ताओं की अपेक्षा पर खरा उतरने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
पढ़े: दर्द के साए में आडवाणी के चार दिनफैसले के खिलाफ बैठक से गैरमौजूद रहने वाले वरिष्ठ नेता आडवाणी को संगठन बनाने का श्रेय देते हुए मोदी ने अपनी ओर से संकेत दिया कि वह सबको साथ लेकर चलेंगे। साथ ही भरोसा दिलाया कि लोकसभा चुनाव में पार्टी नई सोच और नई उम्मीद के साथ बढ़ेगी। राजग के घटक दलों अकाली दल और शिवसेना से मिले समर्थन का हवाला देते हुए परोक्ष रूप से आडवाणी को ही यह संकेत भी दे दिया कि मोदी अकेले भाजपा में ही नहीं गठबंधन में भी स्वीकार्य हैं।गौरतलब है कि मोदी को प्रचार अभियान समिति की कमान सौंपे जाने के समय भी कुछ लोगों की ओर से राजग को बरकरार रखने का सवाल उठाया जाता रहा था।
शुक्रवार को घोषणा से पहले सर्वसम्मति बनाने की लंबी कवायद हुई और आखिरकार उसका बहुत कुछ नतीजा भी दिखा। अब तक आडवाणी की तर्ज पर ही फैसले को टालने की वकालत करती रहीं सुषमा स्वराज शुक्रवार को पूरी तरह सहमत थीं। मंच पर भी वह मोदी के साथ ही बैठी थीं। मोदी ने चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपे जाने के बाद दिल्ली आने पर आडवाणी के घर जाकर आशीर्वाद लिया था। शुक्रवार को भी वह आडवाणी के आवास पर जाने से नहीं चूके।
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