मोदी की जापान यात्रा पर अमेरिका की नजर
इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी की तैयारियों में जुटा अमेरिका का बराक ओबामा प्रशासन मोदी की जापान यात्रा को काफी दिलचस्पी से देख रहा है।
By Edited By: Updated: Mon, 01 Sep 2014 10:27 PM (IST)
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी की तैयारियों में जुटा अमेरिका का बराक ओबामा प्रशासन मोदी की जापान यात्रा को काफी दिलचस्पी से देख रहा है। सोमवार को टोक्यो में जिस तरह से भारत और जापान ने अपने द्विपक्षीय रिश्ते को विशेष रणनीतिक व वैश्विक साझेदारी में बदलने की घोषणा की है उसकी पैरवी अमेरिका पिछले कई वर्षो से करता रहा है। अमेरिका प्रशासन के आला अधिकारी मानते हैं कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब दक्षिणी पूर्वी एशियाई क्षेत्र में ज्यादा सक्रियता दिखाएगा।
अमेरिका प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, एशिया का एक बड़ा हिस्सा भारत से आगे आकर नेतृत्व करने की उम्मीद रखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से एक मजबूत व निर्णायक सरकार का नेतृत्व करने की क्षमता दिखाई है उससे यह उम्मीद बंधी है कि भारत दक्षिण पूर्व एशिया में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाएगा। उक्त अधिकारी के मुताबिक फिलीपींस, वियतनाम, दक्षिण कोरिया समेत तमाम दक्षिण पूर्वी एशियाई देश भारत के साथ गहरे रणनीतिक संबंध रखने को इच्छुक है। अमेरिका भी चाहता है कि भारत इन देशों के साथ अपने संबंध प्रगाढ़ करे। इस क्षेत्र में भारत के लिए अपार संभावनाएं हैं। भारत ने अभी तक इस दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठा कर अपने हितों को ही नुकसान पहुंचाया है। सनद रहे कि मोदी इस महीने के अंत में अमेरिका की द्विपक्षीय यात्रा पर जा रहे हैं। ओबामा प्रशासन के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले दिनों 'दैनिक जागरण' को यह बताया था कि वे मोदी की जापान यात्रा को लेकर काफी उत्सुक हैं। विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए और जापान के साथ रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने के लिए मोदी क्या करते हैं, इस पर अमेरिका लगातार नजर रखे हुए है। अब मोदी ने एक तरह से यह साफ कर दिया है कि वह द्विपक्षीय संबंधों को लेकर लीक से हटकर चलने को तैयार हैं। अमेरिका ने वर्ष 2012 में भारत को जापान के साथ गहरे रणनीतिक संबंध बनाने के लिए प्रोत्साहित किया था, लेकिन तत्कालीन संप्रग सरकार ने कई वजहों से जापान के साथ ज्यादा गर्मजोशी दिखाने से हिचकती रही। माना जाता है कि अमेरिका चीन की बढ़ती शक्ति के साथ संतुलन बनाने की वजह से भारत और जापान को करीब आने का पक्षधर रहा है। चीन को लेकर संशकित रहने वाले दक्षिण पूर्वी एशियाई देश भी भारत के साथ गहरे ताल्लुक बनाना चाहते हैं। पढ़ें: काशी की विरासत सहेजने का क्योटो ने दिया मंत्र