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भूले-बिसरों की 'घर वापसी' में हर्ज ही क्याः भागवत

किन्हीं भी परिस्थितियों में दूसरे धर्मों को स्वीकार करने वाले यदि अब अपने घर वापस आना चाहते हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है। मंगलवार को यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने बिठूर प्रवास के दौरान संघ परिवार की क्षेत्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संबोधन

By Sachin kEdited By: Updated: Wed, 18 Feb 2015 01:43 AM (IST)
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जागरण संवाददाता, कानपुर। किन्हीं भी परिस्थितियों में दूसरे धर्मों को स्वीकार करने वाले यदि अब अपने घर वापस आना चाहते हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है। मंगलवार को यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने बिठूर प्रवास के दौरान संघ परिवार की क्षेत्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संबोधन और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के दौरान कही।

भागवत ने पुरानी कहावत सुबह का भूला यदि शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते... का उल्लेख करते हुए कहा कि आखिर उनके पूर्वज तो वही हैं, जो अन्य हिंदू समाज के हैं। यदि वह अब पहले की घटना को अपनी भूल मानते हुए अपने घर वापस आना चाहते हैं तो उन्हें घर में स्थान मिलना ही चाहिए। इसमें कोई हंगामा खड़ा करे इसका कोई औचित्य नहीं है।

शाखा की मजबूती से ही रास्ता

मोहन भागवत ने संघ की एक घंटे की शाखा को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि तलाशा जाना चाहिए कि किन क्षेत्रों में पहले शाखा लगती थी और अब वहां किस कारण से शाखा नहीं लग पा रही है। यदि वहां पर कोई ऐसा कार्यकर्ता नहीं है तो दूसरे क्षेत्र से कार्यकर्ता भेज कर शाखा का विस्तार करें। विद्यार्थी शाखाओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संघ ही एक ऐसा कार्य है जहां व्यक्ति निर्माण होता है। भारत पहले भी दुनिया को दिशा दिखाता था और आगे भी मार्गदर्शक की भूमिका में रहेगा।


समन्वय पर जोर
प्रवास के दौरान विभिन्न बैठकों में संघ प्रमुख ने सबसे ज्यादा जोर संगठनों के समन्वय पर दिया। दरअसल केंद्र में भाजपा की स्पष्ट बहुमत और फिर कुछ राज्यों में सरकार बनने के बाद दिल्ली में मिली करारी हार के बाद संघ भी काफी सतर्क हो गया है। उनका कहना था कि सभी संगठन एक दूसरे का साथ दें तो कोई भी लक्ष्य पाना मुश्किल नहीं है।

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